Friday, May 1, 2009


सोचो...

गर चाँद.. सूरज होना चाहे तो क्या होगा,

हर फूल.. गुलाब होना चाहे तो क्या होगा,

छा जायेगी हर सुं एक गहरी उदासी,

औरत के जिस्म में भी गर मर्द होगा...

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