एक नही, अद्वितीय हूँ मैं,
त्रिशक्ति से लबरेज, चतुर्थ आयाम हूँ मैं,
पञ्च तत्वों से बना, वो षष्ठंम भी मैं,
सप्त्सुरी गीतों और सतरंगी ख्वाबों से भरा वो समुंद भी मैं,
आंठों पहर हूँ जागता, नवरसों का धनि हूँ मैं,
दसों दिशाओं में विचरता वो दशावतार हूँ मैं,
हर एक में बसा वो एक भी मैं,
देख सके तो देख के तू ही हूँ मैं...
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