Friday, December 4, 2009

a heart felt sharing...just like that

ना में पंडित, ना में मुल्ला,

ना ही बाँचू गीता, वेद, कुरान,

दुखिया रहत नरक मा, सुखिया स्वर्ग अनजान,

मनवा मा आनंद भयो, करम गति को जान I



ज़िन्दगी आसन हो गयी और खुशगवार भी,

बड़ी मुश्किल से गले उतरा ये सच के मैं कुछ भी नहीं 'करता'

और

फिर भी सब कुछ मुझसे 'हुआ' जाता है मेरे मौला !!



मुझे ही वक़्त लगा अपना गला उतारते,

तेरी तरफ से तो ईद मै कोई देर ना थी मेरे मौला !!



बेवजह डरता रहा मैं जिबह से इतने अरसे,

एक झटके मै हुआ अक्ल और सोच से हलाल मेरे मौला !!



आह या वाह नहीं तो लानत ही भेज दीजियेगा हुजुर,

दोजख को भी जन्नत कर देते हैं मेरे मौला !!



जो ये ज़हमत भी ना उठा सकें आप,

तो जान लेना की ये इनायत भी "करते" हैं मेरे मौला !!



उठा ली फिर जिसने खुदी के क़त्ल की ज़हमत,

बैठा लेते हैं उसे अपने सर पे मेरे मौला !!



करने चले हैं जो मुझे अपनी दुनिया से अलग-थलग,

वो क्या जाने की कर चुके हैं दुनिया से अलग मुझे मेरे मौला !!



समझ रखा है जिन्होंने मेरे इश्क को मेरा दीवानापन, आसानी से,

बक्शेंगे उन्हें भी फर्क की थोड़ी मुश्किल मेरे मौला !!



दो आलम मै रहकर खुद को तड़पाया करते थे 'मनीष',

अब ये आलम के ना मन है, ना मनीष है और ना ही कोई इश..!!





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manish badkas