हाँ! तुझे पाक-साफ़ करने के लिए गंगा माँ ने बुला है,
जसोदा को उसके हाल पर छोड़ तू बहुत पछताया है,
काम को राम समझने की भूल हुई है तुझसे सालोंसाल,
बस इसी सोच ने तुझे बहुत रुलाया है
भीड़ के भगवान देख तुझे कहाँ तक खेंच लाये हैं,
अब तो समझ जा के पराया माल रहता हमेशा पराया है
व्यापार को प्यार न समझ ओ मूरख नादाँ!
ये सैलाब तो तुझे सिर्फ तमाशा बनाने को आया है
Man is bad case....isnt it?