Saturday, May 27, 2023

आकर्षण और समर्पण की तहकीकात

उन्होंने इतरा कर कहा की *आकर्षण तो कहीं भी हो सकता है पर समर्पण कहीं एक ही जगह होता है*।

हमने जब मासूमियत से पूछा की जरा हमें भी तो बताइए की *किस किस जगह आकर्षण होता है और किस एक जगह समर्पण होता है* तो घबरा कर बोले की आपको भी पता है और हम भी जानते हैं।
हमने फिर ईमानदारी से जानना चाहा की जरा खुल कर बताइए की हमें क्या पता है और आप क्या जानते हैं तो कहने लगे की आप नहीं जानते क्या।

अब कैसे बताते हम उन्हें की हमारे पता होने में और उनके जानने मानने में जमीन आसमान का फर्क भी तो हो सकता है...

सो पैगाम लिख भेजा की;

मेरे देखे से तो *आकर्षण* सूरत-सीरत, पद-नाम-दौलत, मन-जिस्म-रूह, शबाब-शराब-कबाब, कला-बला-धरा, अदा-वफा-जफा, मान-सम्मान-ध्यान, जवानी-मोहब्बत-जुनून, इत्यादि का हो सकता है पर *समर्पण* तो सिर्फ कब्र-शमशान-चिता पर ही होता है 😊

या

*आकर्षण* तो आंखों का, जुल्फों का, लबों का, गालों का, सूरत का, गर्दन का, कांधों का, उरोज को, खम का, नाभी का, नितम्ब का, जांघों का, हाथों का, पैरों का, कमर का, पीठ का, आदि आदि का हो सकता है पर लिंग का *समर्पण* तो सिर्फ योनि में ही होता है 😜

ये भी लिख कर इत्तिला दी की ये तो हुआ मेरा सत्य-तथ्य-ज्ञान, जनाब पर अब जरा आपकी जानकारी से भी हमारी मुलाकात करवा दीजिए, हुजूर...

उनके जवाब के इंतजार में बैठे हैं अब तलक हम की उनकी नज़र में मामला संगीन भी है और विचाराधीन भी।

देखते हैं किसकी पैरवी कर किसके हक़ मे फैसला सुनाते हैं मेरे सरकार।