जी हुजूर..पूर्णतः स्वीकार है ये कटु सत्य
भाग्य निर्माण करता है कर्मों का ही पथ..
शौक को आदत बन जाने में आता है मज़ा
आदतों को बदल जाने में लगता है वक्त..
हर ख्वाहिश नज़र आती है जरूरत जैसी
जरूरतों को पूरा करने में लगता है वक्त..
जरूरतें पूरी करने हेतु भरपूर है ये सृष्टि
मनोकामनाएं पूरी करने में लगता है वक्त...
शुभ हों, मंगल हों या हों लाभकारी
कामनाएं को खत्म करने में लगता है वक्त..
~दीवाना वारसी
(चाह गई, चिंता मिटी, मनवा बेपरवाह
जिनको कछु ना चाहिए वो ही शहंशाह)
~कबीर