वो ज़िंदगी क्या जिसमें जोक-शौक न हो
मेरी चुहलबाज़ी को मेरी पहल समझते हैं वो
वो आशिक़ी क्या जिसमें नोक-झोंक न हो
छेड़खानियाँ मेरी अब भी चौंका देती है उन्हें
वो मुहब्बत क्या जिसमें रोक-टोक न हो
आप ही की तस्वीर है इन आँखों में 😍
कभी निहारती है टुकुर टुकुर चुपके से 🫣
तो कभी बंद हो जाती है हौले से 😜
शर्मा जी से करीबी रिश्ता है इनका 🫣
मिलते ही गले जो पड़ जाती हैं वो 🤗
हँस देती हैं वो मेरी हर बात पर
वो दोस्ती क्या जिसमें हँसी-मज़ाक न हो
खिलखिला उठती है वो दोस्ती के नाम पर
वो रिश्ता क्या जिसमें लोक-लाज न हो
रोके रखती है वो ख़ुद को डूब जाने से
वो हसरत क्या जिसमें जज़्बात न हो
कुछ नहीं कहकर सबकुछ कह देती है वो
वो बात ही क्या जो बेबाक न हो
ज़िंदादिली पर लगा है आवारापन का ठप्पा
वो दिलदार क्या जो दिलफेंक न हो