Thursday, April 19, 2012

गुरु अक्सर होता है वार की तरह...


"Genuine pictures of Sai when he was a faqir"

वो दिल नहीं
होता है अक्सर ही दिमाग
जो टूट जाता है बुरी तरह...

हर एक से रिश्ता जोड़ने वालों का अक्सर
खुद से ही रिश्ता टूट जाता है पूरी तरह...

जान लेता है जो खुद को अकेले में,
ज़माना अक्सर उस से रूठ जाता है

पर फिर ये ही ज़माना अक्सर उसे पूजने शिर्डी चला आता है
साईं बाबा की तरह...

गुरु अक्सर होता है वार की तरह
करता है वो वार ज़िन्दगी की तरह

अपना पाता है उसे अक्सर वो ही
जो अपना लेता है उसे किसी सूत की तरह...

सूत्र बना लेता है जो उसे अपने जीवन का
ज़िन्दगी के रंज-ओ-गम से अक्सर वो छूट जाता है

वर्ना तो टीवी पर छाने वाले बाबाओं से वो
अक्सर झूठी तसल्ली पा-पा
वो लगभग मचलता जाता है

कभी निर्मल बाबा बन
तो कभी आशाराम बापू बन
हर एक बाबा उसे आस्था के संस्कार सीखा-सीखा लूटता जाता है

लूट-लूटकर लोगों को वो अपना तीरथ बनाए जाता है
और लोग भी अज्ञानी हैं किसी मुरख की तरह...
मजे से लुटाते जाते हैं अपने-आप को
बाँध कर खुद को अपने ज़हरीली तमन्नाओं से रावण की तरह...

Tuesday, April 17, 2012

चुप रहना ही बेहतर है अब शायद...!!


" silence of a godly man is more violent than violence of a badly man "

तुम्हारा-हमारा
आपस में चुप रहना ही बेहतर है अब शायद...!!
क्यूंकि
तुम्हे सुनना सिर्फ तुम्हारे मन की ही है शायद...!!
और
हमें सुनाना भी तुम्हे अपने मन की ही है शायद...!!

क्या सुने मनीष तुम्हारे मन की..??
और
क्या सुनाये मनीष तुम्हे अपने मन की..??

ज़िन्दगी बस दिल्लगी दिल की
या
तिश्नगी इश्क की है शायद...!!

वो क्या ख़ाक नज़रों से पियेंगे या पिलायेंगे
जिनको आता है सिर्फ अपनी अक्ल पर  ही जताना होश है शायद...!!

फटी ही रह जायेगी ज़िन्दगी उनकी
जिनके केवल दिल में ही नहीं
नीयत में भी बसी है बस खोट ही खोट शायद...!!

ज्योतिषीयों की फिजूल बातों में आकर
सिर्फ वो ही करते हैं अपने जीवन का उपचार,
स्वीकार नहीं जीना जिन्हें पल-पल के द्वार...

सफलता और ताक़त की जरुरत तभी होती है लोगों को शायद,
जब जीवन में कुछ बुरा कर गुजरना चाहते हैं वो शायद...!!
वर्ना तो...
दुनिया में कुछ भी अच्छा कर गुजरने के लिए 
इश्क ही काफी होता है शायद...!!

गिरते रहे सजदे में हम हसरत-ए-इश्क की खातिर
अगर इबादत-ए-खुदा में गिरे होते
तो ज़िन्दगी  हमारी जन्नत हो गई होती शायद...!!

हसरत इश्क की हो सिर्फ मन में
या
इबादत खुदा की हो सिर्फ तन में
गिरा ही देती है इंसान को सजदे से
ले आती है महफ़िल-ए-जन्नत में गजब की खुमारी शायद...!!

हमारा-तुम्हारा
आपस में चुप रहना ही
बेहतर है अब शायद...!!

Friday, April 13, 2012

वाह चाणक्य वाह..!!

                                                                        वाह चाणक्य वाह ..!!




Thanks to our cunningly intellectual mind..!!
Most of us Indians generally remain silent or ignorant about their own corrupt behaviour that they normally and willingly apply to succeed  in their daily life on a day-to-day basis.
However, they raise their voice diplomatically and dramatically, just like our Print or Electronic Media does when it comes to  corrupt attitude of Politicians and Bureaucrats...
वाह  चाणक्य वाह ..!!
Mann is bad case....isnt it?
To change yourself in order to get some value from society is business but to remain yourself naturally without any greed whatsoever, is godliness.
Positive thinking is not about Expecting the best thing to happen...!! It is about Accepting that whatever happens, happens for your best.
Thinking that thinks or expects about goodness or bestness to happen in Past or Future is not Thinking but Expectation of an intellectual MIND believing itself to be GOD in  present  moment...