"Genuine pictures of Sai when he was a faqir"
वो दिल नहीं
होता है अक्सर ही दिमाग
जो टूट जाता है बुरी तरह...
हर एक से रिश्ता जोड़ने वालों का अक्सर
खुद से ही रिश्ता टूट जाता है पूरी तरह...
जान लेता है जो खुद को अकेले में,
ज़माना अक्सर उस से रूठ जाता है
पर फिर ये ही ज़माना अक्सर उसे पूजने शिर्डी चला आता है
साईं बाबा की तरह...
गुरु अक्सर होता है वार की तरह
करता है वो वार ज़िन्दगी की तरह
अपना पाता है उसे अक्सर वो ही
जो अपना लेता है उसे किसी सूत की तरह...
सूत्र बना लेता है जो उसे अपने जीवन का
ज़िन्दगी के रंज-ओ-गम से अक्सर वो छूट जाता है
वर्ना तो टीवी पर छाने वाले बाबाओं से वो
अक्सर झूठी तसल्ली पा-पा
वो लगभग मचलता जाता है
कभी निर्मल बाबा बन
तो कभी आशाराम बापू बन
हर एक बाबा उसे आस्था के संस्कार सीखा-सीखा लूटता जाता है
लूट-लूटकर लोगों को वो अपना तीरथ बनाए जाता है
और लोग भी अज्ञानी हैं किसी मुरख की तरह...
मजे से लुटाते जाते हैं अपने-आप को
बाँध कर खुद को अपने ज़हरीली तमन्नाओं से रावण की तरह...