IMA ने ममता बनर्जी जी से ही
शायद ये तरीका है सीखा,
देखो सवाल उठाने वाले पर ही
किस तरह जवाबदेही जोर से चीखा,
बेईमानी और बेIMAन लोगों पर
चीखना-चिल्लाना या शर्मिंदा होना तो बहुत दूर,
उल्टा सवाली को ही बना दिया
अपने जैसा तीखा..
कश्ती के मुसाफिर ने समंदर नहीं देखा,
आँख देखि पर दिल के भीतर नहीं देखा,
पत्थर समझते हैं तुझ को ये ज़माने वाले आमिर,
तू तो मोम है पर किसी ने छूकर नहीं देखा..
दिल के दर्द को दिल तोड़ने वाले क्या जाने,
दिल की रस्मों को ये परंपरा वादी क्या जाने,
होती है कितनी तकलीफ आशिकों को कब्र में,
ये ऊपर से फूल चढाने वाले क्या जाने...
देखे जब ज़माने में इश्क और आशिकों के हाल हमने,
जाना की असल बदहाली क्या होती है..!!
आ गया फिल्म "इश्किया" में मामू से
कहा गया ये संवाद हमें
की
"वाह मामू वाह..!!
तुम्हारा इश्क इश्क
और
हमारा इश्क काम वासना..."
"waah Didi waah..!!
tum karo toh POLITICS
aur
hum karen toh MAOISTS..."
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