Sunday, July 15, 2012

FACEBOOKISH - दैनिक भास्करी

FACEBOOKISH

Please do read "Dainik Bhaskar" newspaper's Ujjain version if you, not face bookishly, but really want to know and understand what this article is all about or else do whatever your intellectual mind leads you to do.

१३ जुलाई, २०१२

जनता जब खुद ही अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाये अनदेखी, भ्रष्टाचार और मनमानी करने की दैनिक भास्करियों की तरह सफल और सबसे बड़ा समूह होने के लिए तो फिर क्या हक है उसे की किसी राजनेता, पदाधिकारी या व्याभिचारी को जिम्मेदार ठहराए..??
बादल जो गरजते हैं बरसते नहीं मियाँ और जो बरसते हैं वो गरजने का ढोंग नहीं करते मियाँ बल्कि खुद को इश्क की बिजली से भस्म कर बनते हैं धरती माँ के सपूताए...
हो जाते हैं वो खुद ही निर्मल सुभाए...
बंद करो ये दैनिक भास्करी नोटंकी, ये बकवास, ये सनसनी
हो जाओ खुद पहले इमानदार और ईमान के दास फिर करना उपयोग कबीर नाम का ये कहने को की कहत कबीर लजाये...
दरस ये देख उज्जैनी दीवाने वारसी को तो सच बहुत ही लाज आए...
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय

१४ जुलाई, २०१२

जो पालक पाई-पाई बचाने के फेर में खुद ही अपने बच्चों को ऑटो रिक्शों में ठूस्वा रहें हैं वो क्या ख़ाक ध्यान देंगे खुद पर, नैतिकता पर या सुरक्षा के नियमो पर...
गरीब ऑटो चालकों को तो सुधारने के अभियान में भीड़ गए हैं ये दैनिक भास्करी
पर
स्वयं के अन्दर स्थापित कल्पनाओं, उम्मीदों और दयनीय विचारों की भीड़ से क्या ख़ाक भिड़ेंगे ये स्वार्थी दैनिक भास्करी...

१५ जुलाई, २०१२

दैनिक भास्करियों को गर्व है आज मुहँ ढांक कर परम्परा अनुसार सिर्फ बोल-वचन करने पर
और
शर्म आ रही है आज उन्हें गुवाहटी पहुँच खिलखिला कर फोटो खीचवाने वालों पर
ठीक भी है भाई...
की
जो लोग आज तक खुद मुहँ छिपाते रहें अपने-आप से और अपने अन्दर विराजित पूर्ण सत्य से 
वे गर्व ही तो करेंगे सिर्फ बोल-वचनों की दुनिया से
और
जो लोग खुद ही खिलखिला कर डूबे रहें आज तक विज्ञापन और सनसनी पैदा करने वाले फोटो खीचने की होड़ में
उन्हें कभी तो शर्मिंदा होना ही था अपनी नामी-गिरामी सफलता के अहंकार स्वरुप को सरेआम नग्न होता देख...
खा ख़ाक करेंगे वे इस मानसिक विकारों की मनोस्थिति से पार होने के प्रयास उनके लिए तो है ये मात्र दिलवाले दीवानों का दुस्साहस
कहे ये एक दीवाना वारसी रख कर कलेजे में मानव मन से आस
और
लेकर के दिल में मोहब्बत भरा एहसास...

आमीन

नहीं चाहिए कुछ भी हमें इस मतलबी जहाँ से
बिन मांगे ही 'सबकुछ' बक्श दिया है हमें
कुदरत ने अपने विधान से
शिवशंकर हमारे
भोलेनाथ हमारे
बड़े ही कृपानिधान
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय

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