लकड़हारे का ज्ञान :
पता नहीं आप 'गिरिजा शंकर' हैं या नहीं मगर फिर भी….
पता नहीं आप 'गिरिजा शंकर' हैं या नहीं मगर फिर भी….
पता नहीं आप स्वयं सदियों से पीढ़ियों तक कभी इतने शोषित या दलित हुए हैं या नहीं की सिवाए खून की होली खेलने के अलावा आपके मन को कोई और रास्ता ना सूझ रहा हो मगर फिर भी।।।
पता नहीं नस-नस में बसे इस दर्द का साक्षात्कार आपके शोषक प्रवृत्ति वाले समाज, समाज के ठेकेदारों और आप जैसे वरिष्ठ पत्रकारों व् राजनीतिक विशलेषकों की अंतरात्मा को कभी हुआ है या नहीं मगर फिर भी।।।
पता नहीं आप खुद को इस हिंसात्मक प्रतिक्रिया का निर्माण करने में पूर्णतः भागीदार या जिम्मेदार मानते हैं या नहीं मगर फिर भी...
पता नहीं आप विकास के टापू का निर्माण आदिवासी माओवादियों के लिए करने का स्वप्न देख रहे हैं, दिखा रहें हैं या ये विकास समसामयिक मानवता के विकास के बजाये सामंतवादी मानसिकता के विकास हेतु है मगर फिर भी...
पता नहीं इस ज़मीनी वस्तुस्थिति से आप रूबरू हैं या नहीं पार्ट इतना विकास तो जरुर हुआ है के अब दौलतमंद अकल मंदों को एक हजार बार भयभीत होकर, सोच-समझकर ही चालबाजी से ही चक्रव्यूह रचना पड़ता है इन शोषण कर्ताओं को मगर फिर भी अपनी अंदरूनी फितरत से बाज़ नहीं आते हैं ये मोह-माया के साधक और पुजारी...
पता नहीं आप विकास-शोषण और सत्ता-संघर्ष के बीच में सदा से ना केवल स्थापित अपितु राज कर रहे शोषक मन से दैनिक जीवन में अहिंसात्मक आचार की उतनी ही उम्मीद रखते हैं या नहीं जितनी अपेक्षा आप शोषित वर्ग से प्रेमपूर्ण रवैय्ये को श्रद्धा एवं सबुरी से अख्तियार करने की रखते हैं मगर फिर भी...
पता नहीं इन दुर्गम पहाड़ियों व् जंगली इलाकों में जहाँ जीवन यापन करने का एकमात्र तरीका जंगली ही होता है वहाँ आप स्वयं अपनी विलासित जीवन यापन के तौर-तरीकों को छोड़कर ३ महीने के लिए भी जी पाएंगे या नहीं जिसकी वातानकुलित इच्छा आप सुरक्षा बलों से या राजनीतिक सरकारों से कर रहे हैं मगर फिर भी...
पता नहीं आप स्वयं प्रणव रॉय, मनमोहन सिंह, रमण सिंह, सोनिया गांधी जितने भी परिपक्व हैं या नहीं मगर फिर भी...
पता नहीं आप स्वयं की अंतरात्मा की आवाज़ को या आज के ही नईदुनिया समाचार पत्र में छपे संजय कपूर और प्रभात कुमार रॉय के आलेखों को पढ़ते-सुनते हैं या नहीं मगर फिर भी...
पता नहीं आप हमारी इन आलोचनात्मक टिप्पणियों को पढ़कर जवाब देने में अपना बहुमूल्य वक़्त जाया करेंगे या नहीं मगर फिर भी...
Man is bad case....isn't it?
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