केशव कल्कि :
नटखट नन्द्लालम
नयन पिन्गाक्षम
मनमोहक मुस्कानम करत हाल-बेहालम !!
ग्वाला गोपालम
चंचल चित्वनम
फोड़त मन हांडी मय सुर-तालम !!
गोपिका वल्लभम
मोहिनी सुरतम
रचत रास-रंग नवरसम कालम !!
सारथि मोहनम
सार्थक योवनम
अर्जुनी मोह-मायम तजत गीता-bible-कुरानम !!
केशव त्वम् कल्कि
लाज राखो पल-पल की
सांवरे-सलोने त्वम्
पाप मोहे धोनम
सुदर्शनम घन्श्यामं
कर्मयोगी त्वम् दयानिधाम
हे राधे-कृष्णम
त्वम् मर्म अस्मम
जगत कल्याणं
जन्म जन्माष्टकम !!
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