7 billion Raavans |
ये रुपैयॆ के ढोल, ये डॉलर के नगाड़े
ये महंगाई के ढकोसले, ये पोपले बोल
ये फैशन के चोचले, घट-घट है पोल
ये इंटरनेशनल कमीनापन, ये छिछोरा बाँकपन
ये गायब कुँवारापन, ये मादक प्रलोभन
ये व्यभिचारी प्यार, ये दुराचारी व्यवहार
ये परेड ke maidaan par २०१३ फीट का कलयुगी रावण
ये सब बना रहे इस पुनीत अवसरवाद को और भी पावन
७ अरब अमानवीय जनता जनार्दन से ये पूछ रहे सियाराम
ki;
युगों-युगों से तो जलाते आ रहे हो तुम
इस बाह्य जगत की बुराइयों के प्रतीकात्मक पुतले को
पर…
सच कहना मेरे भाई
ki
कभी दिलो-जान से जलाया तुमने अपनी घ्रुनास्पद सच्चाइयों को, परछाइयों को?
कब खोलोगे तुम अपनी भीतरी अच्छाइयों के कर्म pradhaan सुतले को?
या फिर ये
ki;
ये भी सदा बने रहेंगे तुम्हारी दिखावटी धार्मिकता की तरह ही तुम्हारी मक्कार मानसिकता के प्रतीकात्मक पुतले?
बोलो राम, कुछ तो बोलो….
चुप क्यूँ हो सिया, भेद जिया के खोलो….
wolf in sheeps clothing |
please do respond if you can...
please do if you have the guts n candid ability to do so logically..!!??!!
NO TIMEPLEASE
Man is bad case....isn't it?