इश्क-ईमान-इबादत वाला मन_इश ek बार फिर मोह-माया-मज़बूरी के मन_मयूर से हार गया…
पैसे और पद का पॉवर आज फिर प्रेम की शक्ति को पराजीत कर ले गया बेशर्मी से…
जाने क्यूँ फिर भी मगर ये आनंदमयी एहसास हो रहा है मेरे आत्मन दिल को की;
वो जीत कर भी हार गया पहनकर हीरे-मोतियों का हार
और
हम हार कर भी जीत गए जब पहनाई हीर ने हमें अपने आँसुओं की मोती वाली माला
अपनी नर्म-नाजुक गलबहियां डाल ;-)
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