Sunday, June 29, 2014

Facing YOU



"क़ायम रहे ख़ुदा  पे वो ईमान मुबारक़, 
ईमान मुक़म्मल हो ये अरमान मुबारक,  
दिल, जिस्म, रूह पाक रहे दौर-ए-इबादत, 
अल्लाह के बन्दों को हो रमज़ान मुबारक"

When Shaitaan seems to dominate the world around YOU,
When anxiety, loneliness and  despair seems to color YOU blue,
When no one seems to understand what YOU are going through,
Face the reality with utmost trust and patience,
Know that the help is on its way to YOU,
Yes!!
ShivaShakti indeed knows what you need and where exactly are YOU,
S/He is not only sending timely messages to YOU
but is also indulged in sending a terrific rescue team to sustain YOU,
Rest assured that they are safely bringing back home the real YOU,
Yeah....the real YOU within YOU....!!

Its been long since my naked eye last saw YOUR face but... 
Behold!
Behind my eye the countenance is always YOURS...
Trust me with patience, its TRUE.



Man is bad case....isn't it?

Sunday, June 22, 2014

हरी ॐ हरी - HARI OM HARI



वो समझते हैं की बड़े सुकून से सोते हैं हम रात भर,
नहीं जानते वो नादान 
की हक़ीक़तन तो हम जाग-जागकर जीते हैं ख़्वाबों को उम्र भर  

ये नींदें हैं आशाओं पर दृढ़ विश्वास की,
दीवानगी जिसकी शास्वत सनातन सतनाम मोहब्बत से है 

भोला बादशाह कहकर पुकारती है एक नन्ही सी मासूम परी मुझे,
देखकर जिसे मेरी सारी की सारी मक्कारी रह जाती है धरी की धरी 

महज एक सोज़ उसका बना देता है दीवाना मुझे,
अक्ल पे तो लग जाती है जैसे इश्क़ की झड़ी 

तू तू मैं मैं को ख़त्म हुए हुआ जाता है एक अरसा,
वो नदी एक हुई जबसे बन के सागर की अनगिनत समुद्र लहरी 

चढ़ा जबसे रंग उसका सूरज ठेकेदार पे,
रोम-रोम पुकारे है हरी ॐ हरी, हरी ॐ हरी, हरी ॐ हरी............. 

   
Man is bad case....isn't it?

Sunday, June 15, 2014

I am who I am



किसी की ज़रूरतें पूरी कर सकूँ इतनी मेरी औकात नहीं,
यकीन दिला सकूँ किसी को मैं अपना ऐसे मेरे हालात नहीं,
वक़्त-बेवक़्त काम आ सकूँ किसी के मैं तो रहम-ओ-करम 'उसका',
लिखा मेरा सच हो जाए ऐसी तो मुझमे कोई बात ही नहीं 

मदहोशीयाँ ये यूँ ही जाया नहीं जाती 
कई कई रातों को ये सुबह है कर जाती 
 
उफ़्फ़ ! ये बोतलें शराब की 
याद दिलाती है हुस्न-ए-शबाब की 

झाँकना चाहा जो उनके गिरेबान में मैंने एक दिन
थप्पड़ रसीद हुआ एक झन्नाटेदार मगर हसीन  

मोहब्बतें और नफ़रतें चलती हैं साथ-साथ 
ठीक वैसे ही जैसे ज़िन्दगी तुम और मौत हम 

बाज ना आये जब ये बाज़ 
तो फिर भला मैं चीज़ कहाँ की 

कभी हमें माँग कर तो देखिये अपने आक़ा से हुज़ूर 
माँ क़सम !! 
दुश्मनी ना कर लें वो आपसे तो नाम बदल दीजियेगा ज़रूर  

कभी डुबोया, कभी भिगोया, कभी समाया,
समंदर इश्क़ तेरी आदतें मेरे यार जैसी हैं :-)  

दिलक़शी = Attraction
उन्स = Attachment
मोहब्बत = Love
अक़ीदत = Belief or Trust
इबादत = Worship
जूनून = Passionate madness
मौत  = Death
इसमें सेक्स तो है ही नहीं? :-(
हाँ यार! फिर? :-<
फिर क्या? मरने का और सेक्स के ज़रिये फिर वापस पैदा होने का ;-)

अच्छे दिन लाने के लिए कड़वे फैसले लेना पड़ेंगे 
नमो: नमो: लोगों के गुस्से को मुस्कुराकर सहेंगे 
मिल जाए तो इज़्ज़त नहीं तो बेआबरू 
दुनियावाले फिर हकीक़त को फ़साना कहेंगे 

चल चलें वक़्त के साथ हाथ मिलकर पल पल हर पल, 
की जाने फिर ये हसीं मौका मिले मिले ना मिले,
मज़े प्यारी के हैं सफर में,
मंज़िलें चाहें फिर मिले मिले ना मिले !!

लिखी किस्मत माथे पे,
दफन किया मायूसियों को लकीरों में,
दरार-ए-मुक़द्दर की फिर मरम्मत कर,
रचा दिन-ओ-ईमान से मौला ने नसीब इंसान का ;-) 


Man is bad case....isn't it?

Sunday, June 1, 2014

लब्बो-लुबाब ; मेरे टूटने की वजह - RUBBISH FEELINGS; BROKEN HEART



{मेरे टूटने की वजह मेरे जोहरी से पूछिये,
बस, ये उस की खाहिश थी की मुझे थोड़ा और तराशा जाए।} 

तोड़ डालो मुझे,
तराश डालो मुझे,
मार डालो - काट डालो मुझे,
जो दिल चाहे करो तुम मेरे साथ
पर 
ख़ुदा के लिए बक्श दो मेरी मेरी नन्ही सी मासूम परी जान को 
की निगाहों में उसकी बसता है मेरा रसूल-ए-यार। 
बनता भी 'वही' है बिगड़ता भी वही है
बनती - बिगड़ती को सँवारता भी वही है 
फिर एक दिन सबकुछ भुलवा भी ' वो'
नाकुछ को सबकुछ और सबकुछ को नाकुछ भी बनाता वाही है। 

क्यूँकर रोका जाए 'उसे' जो हमारा था ही नहीं कभी,
क्यूँकर....हाँ...क्यूँकर?
जो हुआ वो इश्क़ाँ तो लौटेगा ही घर वो परिंदा कभी ना कभी। 

अपने-परायों की मज़बूरी से दिलवालों का होता कोई वास्ता नहीं,
फुर्सत में दिल बहलाने को की गयी लफ़्फाज़ियाँ कतई उनका रास्ता नहीं,
इश्क़ में मोज़ू होती है ज़माने की हर ख़ुशी,
दुआ देने वालों को अकेलापन कभी काटता नहीं। 

ना वक़्त, ना दिल, ना प्यार, और ना ही दोस्त कुछ कहते हैं यहाँ,
वे तो चुपचाप बस देखा करते हैं ज़िंद नित नए तमाशे,
बकवास करने का ज़िम्मा तो बस तेरे 'दीवाने वारसी - मनीष' ने ले रक्खा है 
और वो भी किसी नादान बहरूपिये की तरह :-)

कब तक झुकाओगे ये पलकें,
कब तक भिगाओगे ये आँखें,
छिपन-छिपाई का ये खेल मेरे संग खेलोगे कब तलक,
जानते हो जब तुम ये भली-भाँती की 'इश्क़ और मुश्क़ छिपाए नहीं छिपते' ;-)


तुम खुश तो हम खुश 
वर्ना तो...,
हर ख़ुशी के साथ चले आते है ग़म बिन बुलाये मेहमानों की तरह 

सिवाए इश्क़ के कौन लिख सका है किस्मत एक दीवाने की,
दुआ मांगते हैं वो जिन्हे आरज़ुएँ है ज़माने की,
मुक़द्दर का सिकंदर होता है हर आशिक़ यहाँ,
वो शम्मा क्या बूझे जो लौ है किसी परवाने की ;-)

वफ़ाएँ हमारी इश्क़ से है, नफरतों से नहीं,
मोहब्बतें हमारी तुमसे नहीं तो किसी से नहीं,
तुम जो रो दो तो रो देता है जग यहाँ सारा,
(अब ये बात और की लोग उसे बारिश समझते हैं यहाँ)
मंशाएँ हमारी फ़क़त तुमसे हैं हर किसी से नहीं।

जी तो लेते है हम 'तेरे बिन' पल-पल, हर पल,
पर; 
यूँ मर-मर के जीना भी कोई जीना है लल्लू !

आएं!!

काफी ही होता अगर हमें ये दो-चार पल का इश्क़, 
ये दो-चार पल की ज़िंदगानी, 
ये दो-चार बूँदें पानी की 
तो 
दरियादिल कहलाते हम..,
घड़ियाली आँसू बहाने वाले घड़ियाल या दो-मुहें साँप नहीं। 

 अपने रूठ ना जाएँ इसलिए चुप रहते हैं हम,
उफ़्फ़ !! 
ये खुशियों की बसंत पंचमी,
ये ग़मों के पतझड़,
ये जुदाई की आग.....
आँधियाँ कहीं बिखेर ना दें 
ये तुम्हारा गुलिस्ताँ इसलिए पराये बने रहते हैं हम !!
   

 
दिल लगाकर दिल से कई सारे पैगाम भेजा किये हम उन्हें...,
ख़ामोशी मिली जब जवाब में तो हम भी चुप रहना सीखा किये..!!

लब्बो-लुबाब मगर ये जाने क्यों ख़त्म नहीं होते,
आशाओं के ये दीप जाने क्यों जलते रहते है दिन-रात.… ??  

Man is bad case....isn't it?