Sunday, June 22, 2014

हरी ॐ हरी - HARI OM HARI



वो समझते हैं की बड़े सुकून से सोते हैं हम रात भर,
नहीं जानते वो नादान 
की हक़ीक़तन तो हम जाग-जागकर जीते हैं ख़्वाबों को उम्र भर  

ये नींदें हैं आशाओं पर दृढ़ विश्वास की,
दीवानगी जिसकी शास्वत सनातन सतनाम मोहब्बत से है 

भोला बादशाह कहकर पुकारती है एक नन्ही सी मासूम परी मुझे,
देखकर जिसे मेरी सारी की सारी मक्कारी रह जाती है धरी की धरी 

महज एक सोज़ उसका बना देता है दीवाना मुझे,
अक्ल पे तो लग जाती है जैसे इश्क़ की झड़ी 

तू तू मैं मैं को ख़त्म हुए हुआ जाता है एक अरसा,
वो नदी एक हुई जबसे बन के सागर की अनगिनत समुद्र लहरी 

चढ़ा जबसे रंग उसका सूरज ठेकेदार पे,
रोम-रोम पुकारे है हरी ॐ हरी, हरी ॐ हरी, हरी ॐ हरी............. 

   
Man is bad case....isn't it?

No comments:

Post a Comment

Please Feel Free To Comment....please do....