Sunday, December 28, 2014

Good and Bad

I'm good if you think so. I'm bad if you signify so...right..??


God is the One who determines what is good and what is bad.

How..??


Not as per going on our wishes, prayers or plannings but by seeing whether or not our being is accomplishing His plans or not. God is good but that doesn't mean we are bad because but for Him nothing existed, nothing exists and will ever exist. He is the existence indeed, existing in infinite manifestation called Life. He is Alpha. He is Omega.

The good God makes His omnipresence seen and felt by us by lovingly sharing His 'O' with us.
So, when things look bad, do remember and realize that God is holy, whole and good.

Have a God day....



Man is bad case....isn't it?

Sunday, December 21, 2014

copy-paste Shaayari

Thanks to my sms, whattsapp friends and also to Javed Akhtar Saheb who personally shared this sher-o-shaayari with me. I'm taking undue risk with ishq thinking that you'll be able to not only comprehend it but also find your mind capable enough to digest the ingredients within. Inshaallah - God bless you ;-)



मुश्किल है दौर इतना और उम्र थक गयी 
अब किससे जाकर पूछें मंज़िल किधर गयी
बाज़ार में जा पूछा, इंसानियत मिलेगी?
सब ने हँसते हुए कहा, वो तो कब के मर गयी

दिन में धुप तपे, रात में चाँदनी 
कैसी ये ज़िन्दगी, सुबह-ओ-शाम अनबनी 

बदलना चाहते हो तो शौक से बदलो पर इतना याद रखना… 
जो हम बदले ओ करवटें बदलती रह जाओगी

बात ये नहीं है की तेरे बिना जी नहीं सकते;
बात ये है की तेरे बिना जीना नहीं चाहते 

तजुर्बों ने हमें खामोश रहना सिखाया..
कुत्ते भोंकते हैं अपने ज़िंदा होने का एहसास दिलाने के लिए …
मगर 
जंगल का सन्नाटा शेर की मौजूदगी बयाँ करता है 

उसे भूलना होता तो कब का भुला देता 
वो मेरी रूह-ए-मोहब्बत है, कोई तमाशा नहीं 

तुझ बिन रात गुजरती ही नहीं.......
वक़्त की आँख लग गयी हो जैसे 

टाइम ना कर अपना खराब अपना ए ग़ालिब, जमकर पी ले 
लिवर तो ट्रांसप्लांट हो जायेगा पर बीता हुआ वक़्त तू कहाँ से लाएगा

समेट लो सितारों को अपने हाथों में
बहुत देर तक रात ही रात रहेगी 
मुसाफिर हैं हम भी 
मुसाफिर हो तुम भी 
कहीं ना कहीं तो मुलाक़ात जरूर होकर रहेगी 

बुलंदी की उड़ान पर हो तो ज़रा सबर रखो,
परिंदे बताते हैं की …… आसमान में ठिकाने नहीं होते ....

किसी टूटे हुए मकान की तरह हो गया है ये दिल,
कोई रहता भी नहीं और कमबख्त बिकता भी नहीं 

हम तौर-ए-इश्क़ से तो वाकिफ नहीं लेकिन,
सीने में है एक दिल जो मला करे है कोई

तेरी ख़ुशी से अगर गम में भी ख़ुशी ना हुई,
वो ज़िन्दगी तो मोहब्बत की ज़िन्दगी ना हुई 

मियाँ वो दिन गए, अब ये हिमाक़त (नासमझि, बेवकूफी) कौन करता है
वो क्या कहते हैं उसको.... हाँ - मोहब्बत - मोहब्बत अब कौन करता है      
   

Monday, December 15, 2014

न्याय की देवी हो तुम - GODDESS OF JUSTICE, YOU ARE


न्याय की देवी हो तुम
Lusticia हो या Justicia हो तुम
जो भी हो बहुत निपुण हो तुम
इस आदम की भी सुन लो एक गुहार तुम
अपने जिस्म के दो हिज्जे करना चाहता है ये आदम
एक हिस्सा दिल के साथ रहने को है बेक़रार
तो दूसरा हिस्सा मन के साथ रहने का है दिल-ओ-जान से तलबगार
कौनसा हिस्सा किसका है - मालुम नहीं
क्या आत्मा को रहना होगा बन के ज़िंदा लाश - मालुम नहीं
तुम ही करो अब न्याय की न्याय की देवी हो तुम
तोड़ ही दो आज मेरे सारे भरम
बता ही दो की क्या है मेरा धरम
कैसे जियूं के फूटे ना मेरे करम
जानता हूँ, पढ़ा-लिखा हूँ की
"चलती चाकी देख के दिया कबीरा रोये,
दो पाटन के बीच में साबूत बचा ना कोये"
फिर भी तहेदिल से पुकारता है तुम्हे आज ये आदम
हो रहम, हो रहम, हो रहम
यूँ ना ढाइए मुझ गरीब पे इतने ज़ुल्म-ओ-सितम
कुछ तो कहिये की आपके फैसले के इंतज़ार में
बैठे हैं कबसे आपकी राहगुज़र पे हम
माना के सबसे मोहब्बत करने के गुनहगार हैं हम
माना के सिवाए 'इश्क़' के किसी और के वफादार नहीं हैं हम
सच्चे पातशाह की राह में एक नासूर ज़ख्म हैं हम
इल्तिज़ा मगर ये है की हमारे सब्र-ओ-ईमान के इम्तेहान हो ज़रा कम
माना के इन्तहा नहीं हमारे दिल-दरिया की
माना के दिलदार नहीं, बादाखार हैं हम
यकीन कीजिये मगर ए हुजूर, के दिल-फरेब भी नहीं हैं हम
माँ कसम, माँ कसम, माँ कसम
हो रहम, हो रहम, हो रहम   
 

Man is bad case....isn't it?

Tuesday, December 2, 2014

X-mas -A season of hope


X-mas hope:

Adam and Eve in Eden Gardens lacked nothing and hence needed not to hope for anything;
But then the devil's serpent offer came with an allurement witch(pun)  they both accepted readily with indulgent lure;
Greedily they ate the God forbidden fruit of Knowledge: Knowledge of good and evil;
They got what they wanted: KNOWLEDGE.
But they lost what they had: INNOCENCE.
With the loss of innocence came the need for hope-hope that the guilt and the shame could be removedand goodness restored.
CHRISTMAS IS THE SEASON OF HOPE.
Jesus with his benevolent crucifixion not only bought our redemption but also earnestly forgave our sins.
Moreover, he made it possible for us to be wise about what is good and innocent about evil temptations.
Praise God for the hope of Christmas!

*(with due acknowledgement the above write-up is taken from -Julie Ackerman Link posted on December 2, Tuesday page of 2014 Annual Edition of OUR DAILY BREAD)*