Sunday, February 27, 2022
इश्क़ है इश्क़
अपने लिए माँगना चाहत है,
अपनों के लिए माँगना मोहब्बत है,
गैरों के लिए माँगना ईबादत है,
खुदाया!
बिन माँगें ही सबकुछ दे देना इश्क है, जुनून है, खुदाई है...
प्यार व्यापार नहीं अपितु सदाचार है, सद्कर्म है, रिहाई है...
जहाँ जाकर अक्ल और सोच खत्म होती है;
बस, वहीँ से इश्क शुरू होता है...
इस जज़्बात को जीने के लिए यहाँ से दूर...बहुत दूर...सही और गलत के पार एक मैदान है
वहाँ पहुँचना होता है रूमी की तरह...
डूब कर पार हुआ जाता है अमीर खुसरो की तरह...
मेरे देखे से मादाओं में ये बात सिर्फ कोई मीरा, कोई लल्लो, कोई राबिया ही जी पाई है,
इसी लिए तो शायद १,२४००० तीर्थंकर सिर्फ आदम के रूप में ही अवतरित हुए,
हव्वा ने तो जैसे ज्ञान का निषिद्ध फल चखने की आदमजात सजा पाई है...
इश्क की आग में डूब जाना ऐसे-वैसों के बस की बात भी नहीं...
इश्क़ है इश्क़ ये मज़ाक़ नहीं
चंद लम्हों में फ़ैसला न करो
Let's give love before we seek love
Let's deserve respect before we demand it
God bless you to be Love in love with love for love and only love 💖
Amen 🙏🌹🙏
Monday, February 21, 2022
7 STEPS TO TRANSCENDENCE
7 CATASTROPHIC STEPS TO TRANSCEND THYSELF:
1. CONTACT: The person comes in contact with a live master or guru.
2. CATAPELSY: Suspension of old being happens mostly out of shock. Past goes.
3. CATHARSIS: Head/mind/brain come in a state of shock but heart gets free. The master or the Guru beheads you, your reason, your logical being.
4. CATASTROPHE: Reason is gone. Heart rules. Ego starts falling.
5. CROSS: Ego dies. The being loses its identity with body and mind.
6. CONVERSION: Godliness comes alive. Human becomes divine.
7. CHRIST CONSCIOUSNESS: One becomes one with the whole. One becomes that which one really is. Drop becomes ocean.
(Notes from a discourse by Osho)
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transcend
The name is enough to describe me.
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