तमाम "रेखाओं" और "सीमाओं" के पार तह-ए-दिल से हम उनके क्या हुए...,
तौबा-तौबा, क्या-क्या सितम, क्या-क्या जुलम हम आशिकों पे कायम ना हुए..!!
मनीष उनके मन के ईश क्या हुए...!!
उनके मन की बात भी चुपके से कह ही देते हैं
बात सच्ची हो या झूठी वो तो बस चुप ही रहते हैं
कहने को बहुत कुछ है पर किससे कहें, कितना कहें और क्यों कुछ भी कहें हम...,
कब तक युॅं ही खामोश रहें और सहें हम..!!
Oh my Man ♂️ is a Bad Kase, isn't it?
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