महामूर्ख हैं वो जो ध्यान की शक्ति का उपयोग कर कुतर्क करते हैं...
ध्यान रहे की शस्त्र उठाने पड़ते हैं तब जब कुतर्क अधर्म को जन्म देने की जुगाड में प्रयासरत दिखता है...
ध्यान रहे की ध्यान कर्म को अधर्म मानता है ना की जन्म या जात-पात या संप्रदाय को...
ज्ञात हो की स्वयं का ही मन जब कुंठा, अपवाद, अफवाह, मिथ्या, दुराग्रह, हिंसा से ग्रसित हो तो यही कुपोषित मन स्वयं को भक्षक होते हुए रक्षक मान लेने की अहंकारी भूल कर बैठता है...
सावधान रहें ऐसे दंभी, अविकसित मनरूपी पुजारी से जो देश का सेवक या चौकीदार बन मानवीय प्रेम और मानवता को अपनी नफरत के विष से शहर दर शहर डसता फिरता है...
ऐसा वाचाल और विमुख प्राणी मन की चाल चलने को अपना दायित्व या जन्मसिद्ध अधिकार समझ भड़काने के लिए सदैव तत्पर रहता है...
ऐसा भोगी सत्ता, राज, सरकार की शक्ति का स्वार्थ सिद्धि के लिए आन बान शान से दुरुपयोग करने में जरा नहीं झिझकता...
ऐसा दुशासित मन स्वयं को शाह का मुसाहिब समझ सोशल मीडिया पर कुतर्क मीडिया और उनके तथाकथित विचारकों को अपनी गोदी में बैठा कर अज्ञान और नफरत के पासे फेंकता चला जाता है...
सचेत रहें ऐसे मौकापरस्त राजनीतिज्ञों से, छलियों से, फरेबियों से जो सफेद कपड़े पहन संप्रदायों को विभाजित कर काला कफन ओढाने के दुष्कर्म से प्रेरित हैं...
सजग रहिए ऐसे फसादियों से, कट्टरवादियों से, आतंकवादियों से जो धर्म के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेकने में अत्यंत माहिर हैं...
ध्यान के नाम पर इन जैसे दानवों का ध्यान सिर्फ आम जनता की भावनाओं को उकसा कर स्वयं की लालसाओं को पूर्ण करने हेतु एक ऐसा निरक्षर समाज, ऐसा बुद्धू वोट बैंक खड़ा करना होता है जो महात्मा बुद्ध सा मनोवैज्ञानिक कभी ना बन पाए...
ऐसे विलासी मन की बात में ही मन की वो चाह छुपी होती है जो प्रभु भक्ति नहीं अपितु निर्विकसित अंधभक्ति चाहता है आप से, हम से और प्रभु से भी...
तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार
उदासी मन काहे को डरे...
*जय जय श्री राम*