@Gayatri_adrikaa
जो तुम आ जाते
बस एक बार
तो ख़त्म होता इन
नैनों का इन्तज़ार
सारे गिले शिकवे इक
पल में दूर हो जाते
जो हम तुमसे लिपटकर
रो लेते ज़ार ज़ार
अब सब्र बहुत हुआ,
कितना सताओगे हमें
अब तो देना ही होगा
हमें तोहफ़ा ए दीदार ।
~
बार-बार जाते हैं हम उस एक बार में
वादा था जहां दीदार-ए-यार का
दूर तक तकती रहती है अब भी निगाहें
इंतज़ार कभी खत्म नहीं होता
लिपटते हैं साए दो जिस्म एक जान की तरह
कसक ऐसी की मिलन नहीं होता
ना कोई गिला है अब, ना कोई शिकवा
सब्र रखने का सीमित वक्त नहीं होता
#दीवाना वारसी
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