न कोई शाना है, न शानू है, न शोना है और न कोई शान...,
तक-तक तकता रहता हूं उसकी तस्वीर सुबह- ओ-शाम..!!
तबाही की दहलीज पर आ खड़े हैं,
मत पूछो की ये मंजर क्या है !
बाहर से अच्छे लगते है जरूर मगर,
मत पूछो के मेरे अंदर क्या है !
निकलते नहीं बूंद भर आंसू भी अब,
मेरी आंखों से ज्यादा बंजर क्या है !
और टूटे हुए सपनों का दर्द कितना गहरा है,
मत नापो के ये समंदर क्या है ?
पुराने लिफ़ाफ़े में टूटे हुए ख़्वाब हैं
ना खोलो कभी तुम दर्द बेहिसाब हैं...
मेरे ख़यालो से कभी जाता ही नही
तेरी किताब मे जो सूखा गुलाब हैं...
ज़ख्म दिल के नही दिखेंगे तुझको
दिल के हर राज़ पर एक हिजाब हैं...
~~~~~~
ख़त के छोटे से तराशे में नहीं आएँगे
ग़म ज़ियादा हैं लिफ़ाफ़े में नहीं आएँगे..!!
मुख़्तसर वक़्त में ये बात नहीं हो सकती
दर्द इतने हैं ख़ुलासे में नहीं आएँगे..!!
उस की कुछ ख़ैर-ख़बर हो तो बताओ यारो
हम किसी और दिलासे में नहीं आएँगे..!!
No comments:
Post a Comment
Please Feel Free To Comment....please do....