मेरी हसीन माशुका मुझे बूढ़ा नहीं होने देती..!!
पचपन में भी दिखा देती है मुझे मेरा बचपन....,
मेरी नादानियांँ मुझे जवान नहीं होने देती..!!
पचास के मोड़ पर भी वो लगती है कमसिन...,
मेरी दीवानगी मुझे बुजुर्ग नहीं होने देती..!!
नस नस और अंग प्रत्यंग में दौड़ता है लहू...,
तन बदन की आग होश में रहने नहीं देती..!!
ख्वाबों में आ आ कर तड़पाता है जोबन...,
मचलते अरमान रात भर सोने नहीं देते..!!
मनी के मनु में भर देती है वो उमंग और उत्साह...,
मेरी अंतरात्मा मुझे बुढ़ापा महसूस होने नहीं देती..!!
~ दीवाना वारसी
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