तुझ पर ही ख़त्म
सारी काएनात होगी
फिर ना कभी
अब ये ज़लालत होगी....
करेंगे ज़िक्र अबके
कुछ इस अदा से तेरा
ना तुझे ज़हमत होगी
ना ज़माने को शिकायत होगी....
खुद से ही किया करेंगे बातें
होंगे जब तुझसे रु-ब-रु
अलहदा समझने की तुझको
अबके ना हमसे हिमाक़त होगी....
ग़म हो या हो ख़ुशी
बनाये रखेंगे एक-सी दुरी
एक के नाम पर अबके
ना दुसरे की शहादत होगी....
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