मुद्दा ये नहीं की मंदिर वहाँ था या नहीं,
मुद्दा ये भी नहीं की मस्जिद वहां हो या नहीं,
मुद्दा ये है के राम हम में है की नहीं..
या खो गया है वो मुद्दई भी खुदाओं की तरह..??
भारत वर्ष को बचाने चले हैं कुछ हिन्दुस्तानी,
अमन का देखो किस कदर शोर मचा रहें ये हिन्दुस्तानी..
पुरजोर तैयारियां बयान कर रही है ज़मीनी हकीक़त,
फैसले की दस्तक से ही सुलग उठे हैं ये हिन्दुस्तानी..
लाख छिपा लो नफरतों को दिल के तहखानो में,
एक चिंगारी मगर होगी काफ़ी दिखाने को अपनी कारस्तानी..
आग भड़काने का इलज़ाम फिर लगेगा एक अदना चिंगारी पर,
तोहमतें भूसे के ढेर पर क्या कभी लगा पायेंगे ये हिन्दुस्तानी..
खैरियत इसी में है के फैसले कल पर टलते रहें,
साफ़ हो जाएगी तस्वीर वर्ना की कितना पाखंडी ये हिन्दुस्तानी..
खोखली बातें है ज़बान पर ''वसुधैव कुटुम्बकम'' की,
जय हिंद से ऊपर मगर कभी उठ ना सके ये हिन्दुस्तानी..
अमन का देखो किस कदर शोर मचा रहें ये हिन्दुस्तानी
इतना के डरता हूँ की कहीं कोई ग़दर ना हो जाए............................
Thursday, September 23, 2010
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