Tuesday, November 16, 2010

दोस्ती



वो जो दोस्ती का दम भरते हैं,
वो जो इश्क का ग़म करते हैं,
सितारे नहीं बादल हैं वो कारे-कारे,
चंदा की चांदनी को जो कम करते हैं..

दोस्ती एक बालिश्त बराबर भी उम्मीद नहीं रखती,
ना वफ़ा की
ना जफा की..
बस एक झरना है पल-पल बहता
जो नदी बन जाए तो काफ़ी है..!!

दोस्ती आसरा नहीं
ना ही वो कोई सहारा है..
बस एक सिलसिला है इश्क का
जो बन जाए तो काफ़ी है..!!

दोस्ती ना जरुरत है
ना है कोई इत्तेफाक..
बस एक नगमा है सुकून भरा
जो गा लिया जाए तो काफ़ी है..!!

ना वक़्त गुज़ारने का ज़रिया है दोस्ती
ना ही fb पे लगी गपोड़ों की कोई चौपाल है दोस्ती..
बस एक हुनर है खुद को पा लेने का
जो पा लिया जाए तो काफ़ी है..!!

फ़क़त हँसी-ठट्टा नहीं है ये दोस्ती
ना ही गाली-गलोच से होती मजबूत ये दोस्ती..
बस एक यकीन है बे-तकल्लुफ  सा
जो आ जाए एक-दूजे पर तो काफ़ी है..!!

दोस्ती झूठ की हमदर्द नहीं
ना ही वो है सच की तलबगार..
बस एक बारिश है सतरंगी सी
ज़रा भीग लिया जाए तो काफ़ी है..!!  


1 comment:

  1. सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।

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