किसी ने क्या खूब कहा है...
"ज़िन्दगी तस्वीर भी है और तकदीर भी.."
मनचाहे रंगों से बने तो तस्वीर...
अनचाहे रंगों से बने तो तकदीर.....!!..
हम बोल उठे :
क्यों चाहते हो कुछ..??
क्यों कुछ तुम्हें पसंद है और कुछ नापसंद..??
की जब की ;
लिख रखी तकदीर में उसने पूरी की पूरी काएनात है..
खा बैठा में सेब इल्म का ये अलग बात है..
क्या करता..की वो सेब था ही बड़ा लजीज..
आज़ादी, बाद गुलामी के..!!..
वाह भई वाह..क्या बात है.....!
kaafi badhiyaa
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