Friday, December 31, 2010
भीगी आँखें...
भीगी आँखें
जाने क्या-क्या कह गयीं
किसी को दर्द
किसी को सुकून
तो किसी को प्यास दे गयीं
डूबते हुओं को
मिल गए अपने-अपने किनारे
अनकही रहकर
वे सबकुछ कह गयीं...
आईने से कह रहीं थी कल
एक जोड़ी अदद आँखें
दोस्त भी हम अच्छे हैं
और इंसान भी
कमी थी तो बस
अपने-आप को पहचानने की
सो अंदाज़न रह गई...
हर सूरत में
दिखाने लगीं जब वो रब
तो इबादत हुई
यार से लगने लगे जब सब
तो मोहब्बत हुई
आशिकों की तरह
करे हर ज़िक्र में
दीदार वो अपने महबूब का
सजदे में होतीं हैं वो बंद
सो रस्मन हो गयीं...
जिसने जो ढूंढा
उसको वही मिला
खोजती आँखों को बस
खोजी ही मिला
और मिलता भी क्या
सिवाए उसके
घुल-मिल जातीं हैं
वो हर रंग में
सो आदतन घुल गयीं...
मुक्त हो जातीं हैं
गर फ़रिश्ते उन्हें लेने आयें
मर जातीं है
गर बिछड़ने का डर उन्हें सताए
वक़्त रहते
आँखें बरबस हमें नींद से उठायें
सो गालिबन उठा गयीं...
नवाजे गए हैं हम
हर वक़्त उसकी रहमतों से
घिरे रहें फिर हम
अगर के मगरों से
तो वे क्या करें
बस यूँ समझ लीजिये की
ये सारा जहाँ है उन्ही की बदौलत
फिर आँख वालों को
अक्ल अँधा कर जाती है
सो मजबूरन कर गई...
काम का तो यहाँ
कुछ भी नहीं
ना याद
ना तनहाई
ना रिश्ते-नाते
ना ही खुदाई
समझ में आ सके
ऐसा भी यहाँ
कुछ नहीं
ना अपने
ना पराये
ना मंज़िल
ना ही कोई ऊँचाई
सोचते रहते हम फिर भी
अपने नफे-नुकसान की
हर पल झपक-झपक
तू अमर नहीं
तू अमर नहीं
कहना है काम
इन आँखों का
सो रुखसतन कह गयीं...
ज़िन्दगी ये है
ज़िन्दगी वो है
कह कह कर
जड़ दिए हमने
ज़िन्दगी पे ढेर सारे तमाचे
एक इलज़ाम
लगाये जो इंसान खुद पे
तो आँखें नम हो जाएँ
सो दफ्फतन हो गयीं...
जब भी दूसरों में
खुदा देखने की
मगरूर इंसानी हसरत
अपना शैतानी मुँह
उठाती है मुझमें
आईना दिखा
शर्मसार कर जातीं हैं ये आँखें
सो हक़ीक़तन कर गयीं...
सुबह से प्यासा
रख छोड़ने वालों ने
सर-ए-शाम मयखाना खोला है
तुर्रा उसपर ये
की जाम गीन-गीन के पिलाए जायेंगे
शुक्र मनाओ 'मनीष'
की आँखें भी पीना जानतीं हैं
सो पी गयीं....
और अब ये हाल है की
तेरा नाम ले
तुझे पुकारना
अच्छा लगता है
यूँ खुद को
सुनना - सुनाना
अच्छा लगता है
तेरा नाम ले
छेढ़ते है मुझे
ये दुनियाँ वाले
तेरे नाम से
यूँ जाने जाना
अच्छा लगता है..............................
खुदा हाफ़िज़
The name is enough to describe me.
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kya baat he dada maze aa gaye, bohat khoob likha he ......it's heart touching line.
ReplyDeleteग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है
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