खुद पिलाते नहीं
वो एक कतरा भी
अपने पुरनूर मयखानों से
और
बुझाने जाऊं जो मैं अपनी तिश्नगी
ज़माने की शराबों से
तो
तेवर दिखलाए जाते हैं
मुझे कुछ इस कदर
की
जी भी न सकूँ...!!
ऐसा नहीं की यकीन तुम्हारी कोशिशों पर नहीं,
कशिश मगर होती कोशिशों से कम नहीं..!!
एहसासों को दरकार होती है एक रूहानी मुलाक़ात,
फिर चाहे वो एक लम्हे की भी हो तो ग़म नहीं..!!
कशिश मगर होती कोशिशों से कम नहीं...
यूँ बँट-बँट कर हिस्सों-हिस्सों में न मिला करो हमसे,
मुलाक़ात तो होती है पर होती आँखें नम नहीं..!!
कशिश मगर होती कोशिशों से कम नहीं...
कुछ सुर तुम लगा लेते हो, कोई साज़ हम छेड़ देते हैं,
हासिल एकसाथ मगर हमें मक़ाम-ए-सम नहीं..!!
कशिश मगर होती कोशिशों से कम नहीं...
कभी तो सब कुछ भूल कर मुझसे मिलो मेरे हमदम,
कह सकूँ मैं दम से के बस...अब जीने में दम नहीं..!!
कशिश मगर होती कोशिशों से कम नहीं...
ये जल्दबाजी, ये घबराहट, ये दीन-ओ-ईमान के फलसफे क्यूँ,
"मन इश" ही तो है कोई एटम बम नहीं..!!
कशिश मगर होती कोशिशों से कम नहीं...
कभी तो सब कुछ भूल कर मुझसे मिलो मेरे हमदम,
ReplyDeleteकह सकूँ मैं दम से के बस...अब जीने में दम नहीं..!!
waah
Thanks 🙏
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