कृपया ये रचनात्मक टिपण्णी की तह तक पहुँचने के लिए आज दिनांक 01 नवम्बर, 2012 के दैनिक भास्कर समाचार पत्र के सम्पादकीय पेज पर प्रकाशित श्री अभिलाष खांडेकर जी का लेख "सवाल भाषायी राज्यों की पहचान का" एक बार ध्यान से पढ़ लें।
Man is bad case....isnt it?
ये रचना समर्पित है दैनिक भास्करी पत्रकारों, लेखकों, संपादकों और पाठकों के लिए
कृपा कर के कबूल फरमाएं
अभी_लाश के अभी_लाशा_पूर्ण सवाल और कुछ नहीं
बस
वसुधैव कुटुम्बकम को कुटिलतापूर्ण सीमाओं में बाँध लेने के
अवांछित प्रयास हैं
फिर
वसुधा या वसुधित मानवों को खंडित करने के ये प्रयास
चाहे अंबेडकर जी से अज्ञानतावश हुए
या
प्रयासरत है कोई दूषित खांडेकर (खंड एकड़)
जान लो अच्छे से
की परास्त ही नहीं अपितु दण्डित भी करेगा उसे
एक दिन मेरा विलासित दांडेकर (दान देकर)
चुपचाप कबूल कर लेना फिर
तुम उस क़यामत के दिन
मेरे आका का अंतिम न्याय
घुटनों के बल टिक कर
सुन रहे हो ना तुम दिल लगा कर
अरे ओ !!
बहुजन समाज पार्टी का
या
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का
उपहासपूर्ण (UP हास_पूर्ण) उपयोग करने वाले
दृष्टिहीन दृष्टिविहीन अघोचर
yes..yes...yes
MAN_IS BAD_KASE
till
मन is इश
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