क्यूँ डरा रही हो तुम मुझे इतना, ओ नादान बाला ??
क्या जुलम हुआ मुझसे कि मार रही हो तुम अपने छबीले नैनो से भाला ??
दीवानगी गर रास ना आयी तुम्हे मुझे दीवाने कि तो नफरत से ही सही
एक बार,
बस एक बार पिला दो तुम मुझे अपने नरम-नाजुक हाथों से विष का प्याला !!
हाल बेहाल है तेरे बिन
ला साकिया पिला दे हाला !!
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खूबसूरत बला |
सूरत ही नहीं सीरत भी बड़ी ही प्यारी हो जब किसी खूबसूरत बला कि
तो मुझ जैसे कई दीवाने मर ना मिटें तुमपर तो क्या लगा लें गुस्ताख़ नज़रों पे ताला ??
या तो एक में ही सबकुछ देख के जी लो
या सबमें एक को ही देख के जी लो
कि:
नाकुछ ही सबकुछ हुआ था एक दिन
और
सबकुछ ही नाकुछ हुआ जाता है किसी दिन
BLACK HOLES ही बुनते हैं ये गगनचुम्बी माला !!
दिल तोड़ने वालों को शुक्रगुज़ार हूँ मैं दिल से
सीखाया उन्होंने ही कि मैं अपने मन को ही दिल मान बैठा था साला !!
मजबूरियां ऐसी थी कि वो हमें देख मुस्कुरा भी ना सके,
चुप्पियाँ ऐसी थी कि इशारों से भी वो हमें अपने पास बुला न सके,
तड़पते रहे वो वहाँ रंज-ओ-गम में,
और हम यहाँ चाहकर भी उन्हें चाह ना सके,
खूब दिखाया ऊपरवाले ने रंग ऊपर वाला !!
{अजब मुकाम पे ठहरा हुआ है काफिला ज़िन्दगी का
सुकून अभी मिला ही था कि नींद गँवा बैठे लाला !!}*
कर ले तू एक नहीं कई गुनाह हमारे साथ
के इश्क़ में तेरे साथ-साथ हमारे भी ७ ख़ून माफ़ हैं, मधुबाला !!
मोहब्बत 'करने' वालों को अपने ओहदे कि, अपनी इज्जत कि कि फ़िक्र सताती ही है,
काश वो जान पाते कि मोहब्बत 'कि' नहीं जाती बस 'हो' जाती है यकबयक नाला !!
मोहब्बत से काम-क्रिया तो होती है
पर काम-क्रिया से मोहब्बत नहीं हो सकती खाला !!
{बंधी है हाथ पर घडी मगर
पकड़ में एक लम्हा भी नहीं आता साला !!}*
यानि ये.,
कि ऊपरवाला भी अहंकारी है हमारी ही तरह?
पुजवाना चाहता है वो खुद को हमसे हमें हमारा हक़ देने के वास्ते?
कह दो उस ऊपरवाले से बेशक़
साड्डा हक़ ऐत्थे रख, रख साला !!
हम कांटो से ना कीजिये ये उलजुलूल फूलो-खुश्बुओं कि किताबी बातें,
खार-खार हैं हम सदियों से और देते हैं ज़ख्म बार-बार लहुलुहान करने वाला !!
[*borrowed ideas from elsewhwere - source anonymous]
Man is bad case....isnt it?