बिछड़न गुरुर हो उनका, ये ज़रूरी तो नहीं,
दिल मजबूर हो सिर्फ़ हमारा, ये जरुरी तो नहीं।
कहीं ये बर्बादी हि तो वो दरिया नही
जिसमे डूब कर खुसरो हुए पार
दुःखता है जब दिल उनका भी
तो बेजार हमें वो सताते क्यूँ हैं?
खामोशियाँ चुभती हैं जब उन्हे भी
तो बेकार हमें वो तड़पाते क्यूँ हैं?
वफ़ाएं मोहब्बत से है जब उनकी भी बेइंतहा
तो ज़माने भर कि फ़िक्र ले वो हमें रुलाते क्यूँ हैँ?
खुशकिस्मत हैं आप
कि आपकी आँखों का ये हश्र कभी-कभार ही होता है
एक दिल और भी है यहाँ
जो साला दिन-रात अपने क़ातिलों कि याद मे रोता है
अलविदा तो अंग है हर प्रसंग का
जीते जी नही तो मृत्यु उपरांत ही सही
होता मोह भंग यहां हर माया का, मलंग का
जियो फ़िर दिल से, जब तक है जान तब तक ही सही
Man is bad case....isn't it?
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