The Search is on... |
खोज जारी है
"इश्क़ कि दुनिया के अंदाज़ ही निराले हैं,
नीर बहाते हैं हम, पाँव मे उनके छाले हैं,
रोने-रुलाने का ना कोई रिवाज़, ना कोइ मंशा है यहाँ,
नींदें उड़ जाती मगर, होठों से छलकते जब ज़ख्मों के प्याले हैं"
सच में ही 'सच' सहन ना हुआ जब हैवानो से,
झूठमूठ के ताबूत मे दफन कर दिया गया 'उसे' ईमान से…,
कसूर नापाक था !
बसना चाहता था 'वो' इंसानो के दिलोदिमाग मे इश्क़ बनकर,
बामुलाहिज़ा नदारद कर दिया गया इसलीये 'उसे' इस जहान से…,
खोजा जो 'उसे' कुछ नामाकुलों ने कब्रिस्तान में,
बाइरादतन रफूचक्कर पाया गया 'वो' शैतानियत के शैतान से…,
ढूँढा गया 'उसे' फिर देवताओं के लोक में,
बादस्तूर निष्कासित कर दिया गया था 'वो' परलोक से बड़े अजीम-ओ-शान से.।,
सातवे आसमान पर दिखा फ़िर 'वो' एक दिन अल्लाहताला कि निगेहबानी में,
बाक़ायदा अब्र बनके बह रहा था 'वो' लामक़ान कि ज़बान से………
लाहौल वला क़ुव्वता - इल्ला बिल्ला हिल - अली हिल अज़ीम
सल्लल्लाहुतालेह अलेही वस्सल्लम
Man is bad case....isn't it?
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