Saturday, September 27, 2014

Dual Sim Story

 १२ हमारी बजा के ९ २ ११ वो हो गए
७-७ जीने-मरने के वादे-इरादे सारे रफूचक्कर हो गए 
१ साथ था १३ ही कभी हमें १४ सालों तक 
६९ से जाने क्यों हम ३६ का आंकड़ा हो गए 
आंकड़ो का खेल ये हमें कभी रास ना आया
सिफ़र थे हम सिफ़र ही रह गए 


चालाकि कहें, मक्कारी कहें या फिर कहें हम इसे उनकी बेवफ़ाई का आलम 
उनके लिए तो है ये राज़-ए-उल्फत हम चाहे जो कहें कहें ना कहें
आप तो जनाब इसे हुजूर का एक जलवा ही समझ लीजिये बस 
ज़माना चाहे फिर फिर इसे बन्दे की बंदगी कहे या दीवाने की दीवानगी कहे

हुआ कुछ यूँ ये वाक्या की एक दिन वो हमारी आँखों से ओझल हो गए 
हमारी एकमात्र आँख (sim card) को कवरेज क्षेत्र से बाहर कर
दूसरी आँख (सिम कार्ड) से वो दूसरों से व्हाट्सअप-व्हाट्सअप खेलने में लग गए

उनकी दूसरी आँख का नंबर हमारे पास था नहीं 
और उन्होंने कभी हमें देने लायक समझा नहीं
एक ही तो हूँ मैं और तुम्हारे लिए ही तो है ये सिम
ये सुन-सुन कर कान हमारे कभी थके ही नहीं 

पूरा यकीन था उन्हें हमारी नादानी पर इसीलिए तो रुसवा हमें वो छोड़ गए 
भेंगे ही नहीं अकल मंद भी थे हम जो उनके दो-मुँहे चेहरे पर मर गए

जब खुद से ही बात करने से कतराने लगे हम 
तब समझ में आया की कितने फट्टू हो गए हैं हम 
लाहौल विल क़ुव्वता, कितने फूटे रहे होंगे हमारे करम 
की आईना देख आज खुद से ही डर जाते हैं हम 


                 


Man is bad case....isn't it?

Thursday, September 25, 2014

enough is enough - SHE MEANS NO - अब बस भी करो..!!

The increasing darkness of trials only makes the lamp of grace shine brighter.

अब बस भी करो !


।। असतो माँ सदगमय - तमसो माँ ज्योतिर्गमय।।


Enough is enough
क्या सोच रोक रहीं थी कल तुम पीने से मुझे,
तुम्हे तो मालुम है ना की पीना-पिलाना कितना पसंद है मुझे 
फँस गयी थी कल एक मछली जाल में मेरे 
कांटे अपने जिस्म के निगलवा कर घायल कर गयी वो मुझे...

रही बात तुम्हारे हक़ कि तो वो तो खैर इतना है तुम्हारा मुझपे 
की तुम कहो तो पीना-पिलाना तो क्या ये पूरी दुनिया ही छोड़ दूँ मैं 
बस इतना सा एक वादा कर दो तुम मुझे 
की फिर कभी ये ज़ालिम दुनिया ना छेड़ेगी-सताएगी तुम्हे

तुम शक्तिरूपेण हो तो अपने अंदर ही संस्थापित कर लो आज तुम मुझे,
कर लो, कर लो, कर लो माँ - वर दो, वर दो, वर दो माँ - जय भवानी अम्बे

।। या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता 
    नमस्तये नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमोः नमः ।।  



SHE MEANS NO

Man is bad case....isn't it?

Friday, September 19, 2014

JOBLESS NOT USELESS


बे कार तो खैर मैं था ही सही अब बेकार भी हो गया 
एक बेकार के मन इज़ bad केस का और होता भी क्या 
जो होना था बाक़ायदा वही तो अलक़ाएदा हुआ
देखना अब बस ये है की आगे होता है क्या 
फिर 
तुम जब से लेने लगे हो चिंताएँ मेरी
लेने लगे हैं या रसूलअल्लाह खबर मेरी
फ़क़ीर को अब फ़िकर ही क्या
चाहे तुम्हारी उम्मत समझती हो मुझको बैरी 
समझने दो जिसे जो चाहता है समझना
नासमझों की समझ की परवाह लेना भी क्या 
इब्तदा-ए-इश्क़ है रोता है क्या 
आगे-आगे देखिये होता है क्या...क्या... क्या...:-)

  
 


Man is bad case....isn't it?

Wednesday, September 17, 2014

PTM: PARENT TEACHER MEET

An unposted letter for the parents and teachers of this platonic world:
इस सतही जगत के पालकों और शिक्षकों के नाम एक अडाकित पत्र :




जिस तरह ज्ञान का सबसे बड़ा शत्रु अज्ञान नहीं, ज्ञान का मिथ्याभास होता है ठीक उसी तरह शिक्षा या शिक्षक का सबसे बड़ा शत्रु अशिक्षा या अशिक्षित नहीं, शिक्षित होने का मिथ्याभास होता है। 

विद्यार्थी वो नहीं जो विद्या का अर्थ समझना चाहता है, विद्यार्थी तो वो होता है जो विद्या की अर्थी निकाल सरेआम खुश होता है। आजकल के विद्यार्थी तो माँ के पेट से ही विद्यावान बनकर निकलते हैं। थोड़ा बहुत बचपना होता भी है अगर तो बस पांचवी तक ही बचता है। छठी का दूध अपने शिक्षकों और अपने निर्गुण संपन्न पालकों को बिलकुल निसंकोच भाव से पिला देते हैं ये मक्कार इंटरनेशनल अकादमी के चाणक्य तूल चतुर, बहुमुखी , प्रतिभाशाली एवं सर्वगुण संपन्न विद्यार्थी गण। दोमुहे समाज से बहुत जल्द मक्कारी सीख-सीख कर ही तो ये इतने मक्कार हुए हैं की अब तो इन्हे पुराने जगत के विद्यार्थी के बजाय नए जगत का पार्थसारथी कहना ज्यादा समसामयिक होगा। 

नहीं?

विश्वास न हो तो आजकल के टीवी विज्ञापन जरा गौर से देखिएगा। आप तुरंत समझ जाएंगे की कंपनियों की मिलीभगत से ये लोग किस तरह अपने ही माँ-बाप की खिल्ली उड़ाते हैं। कोई बेहया अपनी ही ग्रामीण माँ की नक़ल उतारते नज़र आएगी आपको तो कोई खाऊ निठल्ला अपने ही बाप द्वारा सालों की मेहनत से कमाए गए रूपये उड़ाते नज़र आएगा आपको। 

ये सब समुचित ज्ञान की बातें बेहिचक और बिना किसी शर्म के खुलेआम हो रही है। कंपनियों ने तो इनकी व्यव्हार कुशल सोच का जायज/नाजायज फायदा उठाकर अपने धंधे के वारे-न्यारे करना जाने कब से शुरू कर दिया है। हम-आप ही हैं जो अब तक गीता-रामायण की मिथक रजाईयां ओढ़ सो रहे हैं।हालात ये हैं की अब तो इसी सोच का फायदा उठाकर आप-हम को पल्ले दर्जे का मुर्ख या बेवकूफ साबित करने की होड़ सी लगी है इन लावारिस कंपनियों, इनके अनाथ मालिकों और जी हाँ - आप-हम के तथाकथित बच्चों के बीच।

क्या अब भी आप ये छाती ठोक के कह सकेंगे की  "जाने भी दीजिये साहब, बच्चे है।" 
बच्चे हैं पर कच्चे नहीं हैं ये साहबज़ादे एवं साहबज़ादियाँ, हुजूर। और इस सब के पीछे ऑफ कोर्स - तेरा तेरा तेरा कसूर। :-)

Man is bad case....isn't it?

Tuesday, September 16, 2014

SAVIOUR

Blessed we are that God not only watches us from a distance but also keeps an merciful eye on our deeds and is fully aware of the real intent behind our acts. Blessed -because this eye not only makes us fearful of God but also well coscience about the real 'I'.
People's wickedly scornful looks, half-baked truths/beliefs and hateful content behind it terrifies me much more though.
GOD IS OUR SAVIOUR

रब्ब राखा जी रब्ब राखा !



मुझे उठाने के लिए वो खुद गिर गयी
देख के ये इबादत दुनिया साली जल गयी
माता रानी को कुबूल है जब ये सौगात 
तेरी माँ की आँख साले फिर क्यों जल गयी 
गिरते हुओं को उठाना तो उसका शास्वत धर्म है 
संभल जा ओ शोशेबाज़! किस्मत तेरी संवर गयी
मोहब्बत के हैं अज़ल से अजीब ये जलवे 
देख जिन्हे दिमागवालों की नीयत फिसल गयी
सुनी शहरवालों ने जब ये दास्ताने इश्क़
दिल क्या कान और पिछवाड़ों में भी आग लग गयी 

Man is bad case....isn't it?

Monday, September 15, 2014

"a heartbreaking love story"


यूँ हँस-हँस के जीवन गुजारता है कोई
जैसे अपनी ही मौत का कफ़न सँवारता है कोई
कल रात वो फिर नहीं सोई
ख़्वाबों में ही हकीकत बुनता रहा कोई

   "a heartbreaking love story"  

That was the most lucky day of our life when we were destined to meet as lovers
That was the most memorable day of our lives when the mind-body-soul of two lovers transcendentally united to be one with the one and only One
Now, they were indeed husband and wife not socially though but illegally the groom was ready to kiss the bride Oh! what a sight - what a sight!!
Today they celebrate the most auspicious day of their life by thanking Lord for keeping their so called adulterous love marriage intact, update and alive
Kicking in spite of the venomous trials, travails and non-stop tumults of the stigmatic life
Yes, it's is true that the husband's heart bleeded with blames of lust as angry minds twisted and tortured the naked less body of his soul mate
Crying he was in pain filled with shame for not being able to help his lonely wife
Yes, in fact the wife faced and continues to face much more drastic troubles and troublesome times that only a young and beautiful Indian wife has to bear, being condemned as a passionate love crazy and cursed widow
All these tremendously terrible turmoils which her soulful husband could not even think or dream about kept on going when he far away was leading a happy-go-lucky kind of life, thanks to his soulful wife's courageous and righteous love
Yes indeed, he will be always sorry for his inability to even being able to count , measure or understand the sad data, moments and faulty accounts lived by his loving wife who kept on loving him unconditionally and still does it more than anyone else did or even imagines to do 
Yes, this remains a most difficult to digest TRUTH of his life 
(-a hopelessly bad kase he is whom his wife trusts to be a god send manna for his seamlessly sympathetic, emphatic, hot and simmering wify)   

Man is bad case....isn't it?

Wednesday, September 10, 2014

बातूनी man -talkative mind



एक बातूनी की इन दिलकश बातों में कहीं खो ना जाना तुम 
कहीं के भी ना रहोगे गर इन लफ्फाजियों पे ऐतबार करोगे तुम ;-) 

ये तेरा-मेरा के भाव उनके लिए जो खोये हुए हैं निन्नयांनु के फेर में 
ये गुनाह की कुंठा-ग्लानि उन पापियों के लिए दिखावटी जिनके प्रेम करम
ये विचार ही छीन रहें हैं हमसे हमारा धरम करम    

जबतक मैं तुझसे रूबरू ना हो लूँ तबतक आएगा मुझे सुकून नहीं,
जबतक तुझसे आँख ना मिला लूँ तबतआएगा मुझे आराम नहीं,
फिर ये बात और की तेरा सामना कर पाने का मुझमें माद्दा कहाँ पर
जबतक समा ना जाऊं मैं तुझमें होते तबतक हम क़तई एक नहीं....

शर्मसार यहाँ मैं - घायल वहाँ तू 
नदी हूँ मैं और समंदर तू 
किसी काम नहीं आ सका मैं तेरे  
फिर भी बेइंतेहा मुझे चाहती है तू 

बूँद मैं - गागर तू 
कामुक मैं - हसीन तू 
भर दे आज मुझको मुझ ही से
कर दे  मुझको मुझ ही से अब रिहा तू 
अल्लाह हु अल्लाह हु अल्लाह हु    


Man is bad case....isn't it?

Monday, September 8, 2014

मदमस्त हाथी - Intoxicated elephant


वाक़ई मज़े में है ये मदमस्त हाथी 
या उन्मादी हो गया है ये जीवंत साथी?
दुनिया इसके खिलाफ मगर फिर भी इसका मन साफ़
समझो जल उठी है इसके जीवन में सद्चिदानन्द की बाती 
जाग उठा है ज़ोरबा के मन आँगन में 
फिर कोई नया एक बुद्ध 
मंद-मंद मुस्कुरा के देखे है वो दुनियावी तमाशा 
करे है वो अविनाशी नृत्य 
बजा-बजा के हैरतअंगेज़ ढोल और ताशा 
लिखे है पल-पल वो 
एक नई उमंग और उत्सव से भरी प्रेम की पाती 
ये दुनिया पित्तल दी मायावी फिल्म की भाँती...

What is in your mind?
Thanks or burden?
Whatever it is, your love wants to hear your heart.
Say it, fear Him not
or else,      
AS YOU WISH:

समझ सको तो समझ लो दिल से 
पर समझ सकने वाली बात ही ये कहाँ !!
समझ - समझ के जो समझ को ना समझे
ऐसी समझदारी से भरे नासमझ आशिक़ है कहाँ !! 
दिल लुटाने में जो मज़े हैं वो इज़्ज़त लूटने में कहाँ !!
जान देने में जो लुत्फ़ है वो जिस्म देने में कहाँ !!
रूह के जज़्बात हैं ये प्यारे
महसूस करने में जो तरंगें हैं वो समझने में कहाँ !!
समझ सको तो समझ लो इश्क़ को पर तुम में वो समझ ही कहाँ !! 
इश्क़वालों की दुनिया में अक्लवालों का 'काम' है कहाँ !!

 


Man is bad case....isn't it?