१२ हमारी बजा के ९ २ ११ वो हो गए
७-७ जीने-मरने के वादे-इरादे सारे रफूचक्कर हो गए
१ साथ था १३ ही कभी हमें १४ सालों तक
६९ से जाने क्यों हम ३६ का आंकड़ा हो गए
आंकड़ो का खेल ये हमें कभी रास ना आया
सिफ़र थे हम सिफ़र ही रह गए
चालाकि कहें, मक्कारी कहें या फिर कहें हम इसे उनकी बेवफ़ाई का आलम
उनके लिए तो है ये राज़-ए-उल्फत हम चाहे जो कहें कहें ना कहें
आप तो जनाब इसे हुजूर का एक जलवा ही समझ लीजिये बस
ज़माना चाहे फिर फिर इसे बन्दे की बंदगी कहे या दीवाने की दीवानगी कहे
हुआ कुछ यूँ ये वाक्या की एक दिन वो हमारी आँखों से ओझल हो गए
हमारी एकमात्र आँख (sim card) को कवरेज क्षेत्र से बाहर कर
दूसरी आँख (सिम कार्ड) से वो दूसरों से व्हाट्सअप-व्हाट्सअप खेलने में लग गए
उनकी दूसरी आँख का नंबर हमारे पास था नहीं
और उन्होंने कभी हमें देने लायक समझा नहीं
एक ही तो हूँ मैं और तुम्हारे लिए ही तो है ये सिम
ये सुन-सुन कर कान हमारे कभी थके ही नहीं
पूरा यकीन था उन्हें हमारी नादानी पर इसीलिए तो रुसवा हमें वो छोड़ गए
भेंगे ही नहीं अकल मंद भी थे हम जो उनके दो-मुँहे चेहरे पर मर गए
जब खुद से ही बात करने से कतराने लगे हम
तब समझ में आया की कितने फट्टू हो गए हैं हम
लाहौल विल क़ुव्वता, कितने फूटे रहे होंगे हमारे करम
की आईना देख आज खुद से ही डर जाते हैं हम
Man is bad case....isn't it?