एक बातूनी की इन दिलकश बातों में कहीं खो ना जाना तुम
कहीं के भी ना रहोगे गर इन लफ्फाजियों पे ऐतबार करोगे तुम ;-)
ये तेरा-मेरा के भाव उनके लिए जो खोये हुए हैं निन्नयांनु के फेर में
ये गुनाह की कुंठा-ग्लानि उन पापियों के लिए दिखावटी जिनके प्रेम करम
ये विचार ही छीन रहें हैं हमसे हमारा धरम करम
जबतक मैं तुझसे रूबरू ना हो लूँ तबतक आएगा मुझे सुकून नहीं,
जबतक तुझसे आँख ना मिला लूँ तबतआएगा मुझे आराम नहीं,
फिर ये बात और की तेरा सामना कर पाने का मुझमें माद्दा कहाँ पर
जबतक समा ना जाऊं मैं तुझमें होते तबतक हम क़तई एक नहीं....
शर्मसार यहाँ मैं - घायल वहाँ तू
नदी हूँ मैं और समंदर तू
किसी काम नहीं आ सका मैं तेरे
फिर भी बेइंतेहा मुझे चाहती है तू
बूँद मैं - गागर तू
कामुक मैं - हसीन तू
भर दे आज मुझको मुझ ही से
कर दे मुझको मुझ ही से अब रिहा तू
अल्लाह हु अल्लाह हु अल्लाह हु
Man is bad case....isn't it?
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