Tuesday, May 12, 2015

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चिराग दिलों के जलाए रखना मेरे पीया
उल्फतें हमारी बनाए रखना मेरे पिया
की रात बहुत अँधेरी है और सहर होने की दुर दुर तक कोई खबर नहीं
इस "दिवाने" दिल को न जाने क्युँ इश्क चंबे दी बुटी पर फिर भी बेइन्तहा यकी़न है
की
वो सुबह कभी तो आएगी आना ही होगा उसे
कब तक वो हमें युँ तड़पाएगी
कब तक वो युँ इतराएगी
तब तक वो बेखौफ हमें युँ सताएगी
के हम भी इबादत में बैठे हैं मुसलसल ईमान, धर्म और श्रद्धा लिए अल्फाज़ों में, तसव्वूर जज़्बातों में और मोहब्बत औका़तों में
हौसला भी तेरा, हम भी तेरे भले, बुरे जैसे भी हैं
हैं तो हम बस तेरे ही
रिश्ता ये जन्मों-जन्मों का है कोई कल-परसों की बात नहीं
युगों-युगों से हैं हम तेरे सतयुग-द्वापर-कलयुग यहाँ बहुतेरे
अद्वैत में अद्वैत को जी लेना किसी ऐरे-गेरे नत्थु खेरे द्वैत के बस की बात नहीं

II असतो मा सदगमय
 तमसो मा ज्योतिर्गमय II



Man is bad case....isn't it?

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