Man is bad case....isn't it?
ZORBA, THE BUDDHA:
अकेला ध्यान मनुष्य को गंभीर बनाता है और अकेला रागरंग (मस्ती) उसे छिछला बनाता है I अतः यदि बुध्द के एक हाथ में सितार और पांवों में घुंघरू बंधे हों तो जो छवी बनेगी वह है नये मनुष्य की अर्थात जो़रबा दि बुध्द की I ओशो ने पुरी मनुष्य जाती के लिए यह स्वप्न देखा है कि हर व्यक्ति में बुध्द का मौन हो और जो़रबा का उत्सव हो I
अकेला ध्यान मनुष्य को गंभीर बनाता है और अकेला रागरंग (मस्ती) उसे छिछला बनाता है I अतः यदि बुध्द के एक हाथ में सितार और पांवों में घुंघरू बंधे हों तो जो छवी बनेगी वह है नये मनुष्य की अर्थात जो़रबा दि बुध्द की I ओशो ने पुरी मनुष्य जाती के लिए यह स्वप्न देखा है कि हर व्यक्ति में बुध्द का मौन हो और जो़रबा का उत्सव हो I
-(साभार "यैस ओशो" के मार्च अंक के पृष्ठ ४४ से )
मेरे देखे यही तो शिव जी की अकाल मुरत है I गंगा की पावनता, चाँद की शीतलता, तेज ध्यान का, हाथ में ञीशुलधारी डमरू और पाँव ज़मीन पर I
II शिवोSSSहम शिवोSSSहम II
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