कब तक सिर्फ online ही मिलोगे/खिलोगे/याद करोगे..??
कभी तो Offline mode में भी मिलने-मिलाने आ जाओ..
खुशियाँ बरसाओ जी भर के आनंद के कुछ पल जी जाओ..
भूल-चूक लेनी-देनी का हिसाब-किताब कब तक और क्योंकर रखें हम..??
ढाने थे जितने भी सितम ढा चुके हैं हम,
सहने थे जितने जुलम सह चुके हैं हम,
दिल लगाया है दिल से तो गले मिलने भी आ जाओ..
रुत/ऋतु सुहानी हो ही चुकी है, रात भी सुहानी कर जाओ..
[जिंदगी की यही रीत है,
हार के बाद ही जीत है,
थोड़े आँसू हैं, थोड़ी है हँसी,
आज ग़म है, तो कल है ख़ुशी]
प्रेम की भी तो सदा से यही रीत है,
ज़र्रे ज़र्रे में बस जाता मादक संगीत है,
होंठ थिरकें, ज़ुबान फिसले मेरी, बांसुरी तुम बजा जाओ..
प्रेमियों के मधुर मिलन के लिए ही तो जनम लेती ये मनमोहक प्रीत है,
सितम बन जाते सनम, जुलम बन जाते जानम, प्रीति ही तो प्रीतम का गीत है,
जनम-जनम से भूखी-प्यासी इस अधूरी कहानी को पूरा करने aa जाओ..
आ जाओ तुम आ जाओ..
आ जाओ तुकब तक सिर्फ online ही मिलोगे/खिलोगे/याद करोगे..??
कभी तो Offline mode में भी मिलने-मिलाने आ जाओ..
खुशियाँ बरसा जाओ जी भर के आनंद के कुछ पल ले/दे जाओ..
भूल-चूक लेनी-देनी का हिसाब-किताब कब तक और क्योंकर रखें हम..??
ढाने थे जितने भी सितम ढा चुके हैं हम
सहने थे जितने जुलम सह चुके हैं हम
दिल लगाया है दिल से तो गले मिलने/मिलाने भी आ जाओ..
रुत/ऋतु तो सुहानी हो ही चुकी है, रातें भी सुहानी कर जाओ..
जिंदगी की यही रीत है
हार के बाद ही जीत है
थोड़े आँसू हैं, थोड़ी है हँसी
आज ग़म है, तो कल है ख़ुशी
प्रेम की भी तो सदा से यही रीत है
ज़र्रे ज़र्रे में बस जाता मादक संगीत है
होंठ थिरकें, ज़ुबान फिसले जो मेरी तो बांसुरी तुम बजा जाओ..
प्रेमियों के मधुर मिलन के लिए ही तो जनम लेती ये मनमोहक प्रीत है
सितम बन जाते सनम, जुलम बन जाते जानम, प्रीति ही तो प्रीतम का गीत है
जनम जनम से भूखी-प्यासी इस अधूरी कहानी को पूरा करने आ जाओ..
आ जाओ तुम आ जाओ..
आ जाओ तूम आ जाओ..
आंठ पहर, चौसठ घड़ी
चहुँ ओर तुम छा जाओ..
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