सौ-सौ सवाल मानस में खड़े कर बड़ी संजीदगी से पूछते हैं वो की क्या बात है..??
बयां कर सकूं जो मैं अपने दिल की बात बिन लब्बो-लुबाब तो क्या बात है..!!
वही बात है जो दिल-ओ-दिमाग के बीच एक सनातन जंग है
जंग लगती ही नहीं ये दिल-ओ-दिमाग का रिश्ता इतना तंग है
गरम हो कर के ठंडा पड़ जाना तो जैसे इसका ईमान और धरम है
भांग पिलाकर मोहब्बत वाली बड़े ही प्यार से करता रंग में भंग है
दिल की बात कहूॅं तो दिल से "तुम्हारी" बहुत याद आती है..
दिमाग की सुनूॅं तो "तुम्हारे जिस्म" की याद तड़पा जाती है..
तुम ही कहो की दिल की बात सुनूॅं या दिमाग की गुजारिश..??
सच तो यह है की तुम्हारी याद में नस-नस फड़क जाती है..
दिल की बात कहूँ तो तुम हसीना बहुत ही प्यारी लगती हो
दिमाग दी गल सुनूॅं तो delete दी महारानी लगदी हो
तुम ही कहो की किस kiss की सुनूॅं , कितनी सुनूॅं और क्यों सुनूॅं
सच में आग भड़काने वाली मासूम एक चिंगारी लगती हो