उस की उमीद-ए-नाज़ का हम से ये मान था
~
कि आप उम्र गुज़ार दीजिए उम्र गुज़ार दी गई
(कभी delete हो कर तो कभी इंतज़ार में)
😄
- जौन एलिया
तुम्हारा दिल मेरे दिल के बराबर हो नहीं सकता,
~
वो शीशा हो नहीं सकता, ये पत्थर हो नहीं सकता
दूरियां इतनी पुरजोर हैं दिमाग और दिल के बीच
~
की फासले शहरों के बीच नहीं मन-दीप के बीच हैं।
नजदीकियां ख्वाबों और ख्यालों में इतनी जबरदस्त
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की उमंगे हकीकत में बहिश्त होने से घबरा जाती हैं।
भावनाएं कर्मों में ना दिखे तो सिर्फ एक ख्याल बन के ही रह जाती हैं
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ख्याल हसीन ही सही मगर हकीकत असल किस्सा बयान कर जाती है।
तुम्हारी ये सोच की तुम खुद आए हो हमारे पास बड़ी बद दिमाग है, अहंकारी है
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हम दिल-ओ-जान से मानते हैं की हमें भेजा गया है एक दूजे को पूर्ण करने के लिए।
इल्जाम तुम पर नहीं तुम्हारी अहंकारी सोच-समझ पर, तुम्हारी अकड़ से है
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फिर ये बात अलग की दिल की बातों से तुम्हारा रिश्ता ज़रा कमजोर सा है।
शिकायत ही करनी हो तो अपने मन के मालिक से करो
~
वो ही तुम्हारे दिल के राज़ खोल सकें तो खोल के रखेंगे अब तो..
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