आती-जाती साँस हो तुम,
और जाते हुए लम्हे हम,
सुकून पहुंचाते तुम दिल को,
और हम तो बस...
थम जाओ तुम..
..तो थम जाते हम,
ज़िन्दगी देने वाले हो तुम,
और हम तो बस...
तेरे ही दम पे रोशन हैं हम,
तुम नहीं तो कब हैं हम,
खुशबुएँ लाते तुम जहां की..
और हम तो बस...
आने से तेरे चुप हो जाते हैं हम,
लफ़्ज़ों से फिर करते खुद को बे-दम,
आगाज़ तुम्हारा है रहम-ओ-करम..
और हम तो बस...
जी भर के भरते हैं मुझको सनम,
देते ही जाते हैं वो मुझको जनम,
अंदाज़ तुम्हारे तोड़े है भरम..
और हम तो बस...
तुम ही हो सरकार-ए-करम,
हो मुझपे भी कुछ अहल-ए-करम,
रोशन तुम्ही से ये रंग-ओ-बज़्म..
के हम तो बस...
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