Monday, October 18, 2010

ये रावण..!!


सदियों से तो जलता आया है ये  रावण...
पल-पल फिर भी पनपता आया है ये रावण...

इस बार १०२ फीट का जलाकर भी देख लिया, न मरा,
जाने किस मिटटी का बना है ये रावण..!!

हर साल चला आता है अपने दस-दस मुहँ उठाये,
नाभि पे लगे तीरों से भी अब तो उबर चूका है ये रावण..!!

कभी हुआ करता होगा ये  बुराई का प्रतीक,
अब तो अच्छाई पर बुराई की जीत का प्रतीक है ये रावण..!!

उधर राम सारे अटके पड़े हैं जन्म-भूमि विवाद में,
इधर अपनी तादाद और शक्ति बढ़ाता जाता है ये रावण..!!

नहीं..नहीं, इस रावण की नहीं ना है जात कोई,
हर एक में एक समान विचरता है ये रावण..!!

मैं भी रावण, ये भी रावण और हाँ.. तुम भी रावण,
रावणों की भीड़ देखो जला रही लंकापति रावण..!!

देख ये तमाशा बच्चे पीट रहें हैं ताली,
सीख रहे पहला ये सबक के कभी ना मरता है ये रावण..!!

जिंदा रहता है वो हम सब के कर्मों में,
बौने राम  पर अट्ठाहस लगता है ये रावण..!!

जागो राम अब जागो तुम..!
के तुम्हारे ही पराक्रम से धाराशायी होगा ये रावण..!!

कुछ मत करो..बस हर कदम तुम होश से उठाओ,
देखें अगले बरस किस तरह फिर खड़ा होता है ये रावण..!!

दशरथ-पुत्र राम से नहीं तुम से कहता है 'मनीष',
मार गिराओ मुझको के.,
मैं ही रावण, मैं ही रावण, मैं ही रावण..........!!

1 comment:

  1. adbhut.........
    vatvriksh ke liye ise bhejen rasprabha@gmail.com per parichay aur tasweer ke saath

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