Thursday, January 1, 2015

नया साल आ गया है तो क्या करूँ?

तेरे दिल को ठेस पहुँचाना न मेरा मक़सद, न मेरी मंशा और न ही मन्नत है कोई...,
क्या करूँ मगर, मोहब्बत फिर मोहब्बत है, कारोबार नहीं कोई..!!



हाँ जी......तो नया साल आ गया है तो क्या करूँ?
ढोल पीटूँ, नगाड़े बजाऊँ, नाचूँ, गाऊँ, जश्न मनाऊँ
तुम्हारी ही तरह किस बात पे मैं यूँ इतराऊँ  
तुम्हारी अदाओं पे मैं कैसे जाऊँ वारी
ना जी...हमसे ना हो सकेगी ये मक्कारी 
दुश्वार हमें ये मुहँ दिखाई की रस्म 
पीला दो चिलम या फिर कर दो हमें भस्म
आप कहो तो झूम के बरस जाऊँ काले-काले बादलों की तरह 
या फिर बहने लगूँ जिस्म-जिस्म में बन के शीत -लहर 
आप हुकुम करो बादशाहो तो मर-मिट जाऊँ इश्क़ की तरह 
या फिर उगलूँ आग पी के मीरा वाला ज़हर 
रोज ही तो मर-मिट रहें हैं तेरे रोजनामचे मैं हम
लड़-झगड़ के तेरे नाम पे ज़िन्दगी को जहन्नुम बना रहें हैं हम 
यूँ लम्हा-लम्हा भाड़ में ही तो जी रहें हैं हम 
किसी ख्वाबगाह का नहीं दिखाई पड़ रहा कोई नामोनिशान 
यूँ कहने को मंगल की बुलन्दियों को छू रहे हैं हम
जाने कब इंसानियत की, नेकी की, दीन-ओ-ईमान की बुलन्दियों को छुएँगे हम 
एक अरसा हुआ 'दीवाने वारिस' लिए हुए तुझे इश्क़-ओ-जूनून की कसम
हाफ़िज़ पिया के सदके "मज़े हैं प्यारी के" चाहे जितने ढा लो तुम सितम
सुना है हमने की सही और गलत के मैदानों के पार है वारिस पाक का महल 
देखते हैं किस दिन मिलेंगे वहाँ दो जिस्म बन के एक जान
तब तक तो यूँ ही मनाते रहेंगे हम हैप्पी न्यू ईयर ओ मेरे सनम...      

Man is bad case....isn't it?

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