Sunday, September 11, 2022

अर्धनारेश्वर




हे भगवान,
मर्द को औरत के रूप में देखने की कैसी ये चाहत है..??
औरत को मर्द बनकर क्या मिल जाती कोई ताक़त है..??

मर्द ही मर्द हों इस हसीन दुनिया में तो कैसा होगा..??
औरत ही औरत हो इस रंगीन जगत में तो कैसा होगा..?? 
सोचो ज़रा, ऐसा हो तो कैसा होगा...

क्या हर औरत में भी एक शक्तिशाली और दबंग मर्द छिपा होता है..??
क्या हर मर्द भी एक औरत की तरह अंदर ही अंदर बड़ा हसीन होता है..??
क्या शिव-शक्ति का समागम हो अर्धनारेश्वर नहीं होता...

ढूंढते फिरते हैं हम जिस जीवनसाथी को पल-पल हर पल इस मायावी दुनिया में,
क्या वो संगी-साथी, वो मृगनयन हमारे भीतर ही रचा-बसा नहीं होता..??

क्या कबीर कह नहीं गए की;

कस्तूरी कुंडल बसे मृग ढ़ूँढ़ै बन माहि।
ऐसे घटी-घटी राम हैं दुनिया देखै नाँहि॥

Man is bad case....isn't it?

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