"bahut lambi hai zameen milenge laakh haseen,
Is zamaane mein sanam tu akeli toh nahin"
बाग में यूं तो लाखों हसीन फूल थे
मेरी नज़र मगर तुझपे हीआकर ठहर गई...
तेरी खुश्बू ने खींचा जो मुझे अपने पास
ज़माना ये समझा की नीयत मेरी फिसल गई...
चंद लम्हें तेरे साथ गुजारना चाहता था
या रब्बा! इजाज़त तेरी किस्मत से मिल ही गई...
पल-दो-पल और साथ जी लेते हम मगर
क्या जाने किस गैर की हैरत भरी नज़र लग गई...
🫶❤️🫶
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