चुप करवाने में लगा है ज़माना मुझे...,
सोचता हूँ के सीख ही लूँ कोई नयी ज़बान..!!
नौकरी से निकाले गए,
संघ से खदेड़े गए,
बखेड़ों से होती तुम्हारी पहचान,
सभी बाट जोह रहे,
कब सुधरोगे मेरी जान..??
बातें तुम्हारी अफलातूनी,
सभी कहते तुम हो बातूनी,
काम-धाम कुछ करते नहीं,
जिम्मेदारियों से तुम अनजान,
सभी बाट जोह रहे,
कब सुधरोगे मेरी जान..??
सत्य का पिटारा तुम ढोते हो,
संसारी की हालत पर तुम रोते हो,
दुकानदारी तुम्हें आती नहीं,
घरवाले भी समझें तुम्हें नादान,
सभी बाट जोह रहे,
कब सुधरोगे मेरी जान..??
सफलता पर तुम हँसते हो,
शायरी कर तंज कसते हो,
दुनियादारी तुम्हें आती नहीं,
अव्यव्हारिक तुमरा सब ज्ञान,
सभी बाट जोह रहे,
कब सुधरोगे मेरी जान..??
कभी काटने को दौड़ते हो,
कभी यूँ ही रख छोड़ते हो,
साधारण तुम रहते नहीं,
जन-साधारण परेशान,
सभी बाट जोह रहे,
कब सुधरोगे मेरी जान..??
जीवन को खेल समझते हो,
दिन-रात एक जुआं-सा तुम खेलते हो,
जीतना तुम्हें आता नहीं,
दोस्त-यार कहें तुम शैतान,
सभी बाट जोह रहे,
कब सुधरोगे मेरी जान..??
प्रेम की बस बातें करा लो तुमसे,
काम-शास्त्र का बस पाठ पढवा लो तुमसे,
बच्चा एक पैदा कर सकते नहीं,
वाह 'मनीष' !! पुरुषार्थ तुम्हारा महान..!!
सभी बाट जोह रहे,
अब तो सुधर जाओ मेरी जान..!!
कोई कहे पागल., कोई नासमझ, तो कोई कहे सरफिरा...,
रोते हैं सब अपनी किस्मत पर के मुझसे पाला ही क्यूँकर है पड़ा..??
क्या कहूँ मैं..
की मैं तो जी..
एकदम सरफिरा......!!!!!!!!!!
सभी कहते तुम हो बातूनी,
काम-धाम कुछ करते नहीं,
जिम्मेदारियों से तुम अनजान,
सभी बाट जोह रहे,
कब सुधरोगे मेरी जान..??
सत्य का पिटारा तुम ढोते हो,
संसारी की हालत पर तुम रोते हो,
दुकानदारी तुम्हें आती नहीं,
घरवाले भी समझें तुम्हें नादान,
सभी बाट जोह रहे,
कब सुधरोगे मेरी जान..??
सफलता पर तुम हँसते हो,
शायरी कर तंज कसते हो,
दुनियादारी तुम्हें आती नहीं,
अव्यव्हारिक तुमरा सब ज्ञान,
सभी बाट जोह रहे,
कब सुधरोगे मेरी जान..??
कभी काटने को दौड़ते हो,
कभी यूँ ही रख छोड़ते हो,
साधारण तुम रहते नहीं,
जन-साधारण परेशान,
सभी बाट जोह रहे,
कब सुधरोगे मेरी जान..??
जीवन को खेल समझते हो,
दिन-रात एक जुआं-सा तुम खेलते हो,
जीतना तुम्हें आता नहीं,
दोस्त-यार कहें तुम शैतान,
सभी बाट जोह रहे,
कब सुधरोगे मेरी जान..??
प्रेम की बस बातें करा लो तुमसे,
काम-शास्त्र का बस पाठ पढवा लो तुमसे,
बच्चा एक पैदा कर सकते नहीं,
वाह 'मनीष' !! पुरुषार्थ तुम्हारा महान..!!
सभी बाट जोह रहे,
अब तो सुधर जाओ मेरी जान..!!
कोई कहे पागल., कोई नासमझ, तो कोई कहे सरफिरा...,
रोते हैं सब अपनी किस्मत पर के मुझसे पाला ही क्यूँकर है पड़ा..??
क्या कहूँ मैं..
की मैं तो जी..
एकदम सरफिरा......!!!!!!!!!!
nai zbaan kee badee sakht zarurat hai
ReplyDeleteDa!U continue to inspire me...
ReplyDeleteABUSES ENLIGHTEN ME....BUT PRAISES CONTAMINATE ME.