ज़हे नसीब ! गर वो सामने खड़ा हो जाए तो कभी सोचा है की क्या करोगे..??
भिखारियों की तरह दुनियावी ठीकरे मांगोगे या फकीरों की तरह रब मिल जाने का रक्स करोगे..??
क्या वो सब की ही ना माँग करोगे जो मांगते हो तुम अपनी तनहाइयों में या इल्तजा करते हो मंदिरों-मस्जिदों और सजदागाहों में जा-जा कर..??
बोलो ना ! रब से तुम ये मांगोगे या के फिर वो मांगोगे..??
ईमान से बोलना प्लीज़............
मांगने को मांग लोगे तुम शायद सारा जहां ही,
खुदाया ! इस खुदाई के अलावा तुम और क्या मांगोगे..
मांग लोगे तुम ख़ुशी-ख़ुशी ज़र, जोरू और ज़मीन,
जानता हूँ ! ज़ाहिर के आगे बातिम तुम क्या मांगोगे..
फितरत, या यूँ कहूँ की तिशनगी ही तुम्हारी कुछ ऐसी है,
बाखुदा ! डर के आगे की जीत तुम क्या मांगोगे..
करके इस ज़माने को शोशेबाजी और दिखावे से भरपूर,
वल्लाह ! दिमागी फितुरों से पेश्तर तुम दिली सुकून क्या मांगोगे..
कदर फ़क़त तुम्हें जब उसकी जो हो सके नुमाया या फिर हो बिकाऊ,
अल्लाह ! के फन में पोशीदा फनकार की जुस्तजू तुम क्या मांगोगे..
जिस्मानी हसरतें जो पूरी हुई तो देखा है मैंने तुम्हें कामयाबी के लिए गिरते हुए,
तौबा ! की खुद-बुलंदी के आगे तुम रूह-पोशी क्या मांगोगे..
ताउम्र चाहतें तुम्हारी हो ना पाती हैं सयानी,
बच्चे हो ! खिलोनो के अलावा और क्या मांगोगे..
यूँ मायूस और नाराज़ ना रहा करो लोगों से तुम 'मनीष',
दिलवाले हो ! होशवालों से बेखुदी भला कैसे, क्यूँ और क्या मांगोगे..
भिखारी हो या हो फ़कीर.....?????
इस खुदाई के अलावा तुम और क्या मांगोगे...
ReplyDeletewaah