खूब कर लो तुम मुझे परेशान
के फिर ये शान मिले मिले न मिले...
खूब कर लो तुम मुझे बदनाम
के फिर ये नाम मिले मिले न मिले...
लगा सकते हो तुम मुझ पर
उम्र भर के पहरे,
खूब कर लो इंतज़ाम
के फिर ये जान मिले मिले न मिले...
कोई कसर बाकी न रख छोड़ना
तुम मेरी मज़म्मत में,
खूब कर लो हैरान
के फिर ये इंसान मिले मिले न मिले...
भटकता दिखूँ जो में तुम्हें
इस दुनिया के गलियारों में,
खूब ले आना तुम तूफ़ान
के फिर ये माझी मिले मिले न मिले...
कुचल दो तुम मेरी मुखालफतों को
ग़ज़ब की बेदर्दी से,
खूब कर लो लहुलुहान
के फिर ये लहू मिले मिले न मिले...
लटका दो तुम मुझे सूली पे
के आज मैंने खुद को कह दिया है खुदा,
खूब ले आओ क़त्ल के साज़-ओ-सामान
के फिर ये जिस्म मिले मिले न मिले...
क़ैद कर लेना मेरी आवाज़-ओ-मुस्कान
बा-वक़्त-ए-फना,
खूब जुटा लाना नमाज़ी-ओ-मुसलमान
के फिर ये अजान मिले मिले न मिले...
आँसू बहाता दिख जाए कोई काफिर जो मेरी कब्र पे
तो दिखा देना तुम उसे पूरी ही तस्वीर,
खूब करवा देना तसल्ली-ओ-एहतराम
के फिर इश्क ये आसान मिले मिले न मिले...
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