Thursday, April 21, 2011

मिले मिले न मिले...



खूब कर लो तुम मुझे परेशान
के फिर ये शान मिले मिले न मिले...
खूब कर लो तुम मुझे बदनाम
के फिर ये नाम मिले मिले न मिले...


लगा सकते हो तुम मुझ पर
उम्र भर के पहरे,
खूब कर लो इंतज़ाम
के फिर ये जान मिले मिले  न मिले...

कोई कसर बाकी न रख छोड़ना
तुम मेरी मज़म्मत में,
खूब कर लो हैरान
के फिर ये इंसान मिले मिले  न मिले...

भटकता दिखूँ जो में तुम्हें
इस दुनिया के गलियारों में,
खूब ले आना तुम तूफ़ान
के फिर  ये माझी  मिले मिले   न मिले...

कुचल दो तुम मेरी मुखालफतों को
ग़ज़ब की बेदर्दी से,
खूब कर लो लहुलुहान
के फिर ये लहू मिले मिले  न मिले...

लटका दो तुम मुझे सूली पे
के  आज मैंने खुद को कह दिया है खुदा,
खूब ले आओ क़त्ल के साज़-ओ-सामान
के फिर ये जिस्म मिले मिले  न मिले...

क़ैद कर लेना मेरी आवाज़-ओ-मुस्कान 
बा-वक़्त-ए-फना,
खूब जुटा लाना नमाज़ी-ओ-मुसलमान
के फिर ये अजान मिले मिले  न मिले...

आँसू बहाता  दिख जाए कोई काफिर जो मेरी कब्र पे
तो दिखा देना तुम उसे पूरी ही तस्वीर,
खूब करवा देना तसल्ली-ओ-एहतराम
के फिर  इश्क ये आसान मिले मिले न मिले...


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