प्यार रौशनी नहीं जो मिलनी ही चाहिए
मांगने वालों को हर चीज मगर सस्त चाहिए
चाहने से ही मिल जाता है गर प्यार
सूरज कभी न मेरा अस्त चाहिए
मिली हुई है मुफ्त में यूँ तो ये रौशनी
देखने को मगर दिल एक मस्त चाहिए
पाक नज़र काफी नहीं दीदार-ए-नूर के लिए
झाड़ सके जो परदे हस्ती के ऐसा एक हस्त चाहिए
लुटे-पिटे दीखते हो 'मनीष' ज़िन्दगी के आयाम में
हौसले मगर ना-आयामी के कभी न पस्त चाहिए
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