INFLAMMATORY INFLATIONARY BLUES:
कल्पेश जी की सटीक टिप्पणी का स्फटिक जवाब
oh my फटिक चार्ली चार्ली
तूने दिल की बाजी मार ली
फाड़ के रख दी तूने आज बाखूबी से
सोचते हैं हम मुफ़्ती मोहम्मद सईद बनके
की क्यूँ मुफ्त में मिलता नहीं ये जगत हमें हे भगवान्
महंगाई कड़कती है हमपर अनुष्का की अनुकम्पा बन
बस एक बिजली ही कहती है हमें oh my डार्लिंग डार्लिंग
हमारा डीजल
तुम्हारा डीजल
हमारी गैस
तुम्हारी गैस
राज्य शुल्क
राष्ट्र शुल्क
भ्रष्टाचारी मुल्क
सदाचारी मुल्क
हमारी सरकार
तुम्हारी सरकार
हमारा भारत
तुम्हारा इंडिया
हमारा ये ...ये ...ये ...
तुम्हारा वो ...वो ...वो ...
कब तक बाँटता रहेगा हिस्सों में हमें कमलेश
कब तक करता रहूँगा में हिज्जे तेरे नवनीत
कब तक हमारा तुम्हारा करता रहेगा ये मूर्खाधिपति 'दैनिक भास्कर'
कब सीखेगा असल भास्कर की तरह
सबको समानता की नज़र से देख
समान प्रेम का समान अधिकारी जान
सबको अपनी दुधिया रौशनी से एक समान नहलाना
कब तक रखोगे तुम 'रमेश'
ये कल्पेश याग्निक जैसे चाटुकार नौकर-चाकर
मानता हूँ की ये चतुर चाणक्य
रोज तुम्हारे मन अनुसार मन मुआफिक बातें कर
लुभाते हैं तुम्हारे दिल को
जानता हूँ की लोक-लुभावनी, चिकनी-चुपड़ी बातें कर
तुम्हारे अहंकारी मन को करवाते है ये स्वार्थ-सिद्धि के योग
देखते हैं हम भी
की देखें बकरे की माँ कब तक मनाती है खैर
My dear readers...
Please do read pandit Vijayshankar Mehta ji's article along with Dr Vaidik Prataap's article
viz a viz
Kalpesh Yaagnik's article against impossible truth
to get my possibly impossible clue.
It might help you to get over this inflation blue
please also visit manisbadkase.blogspot.com
and do read post titled उफ़ ये महंगाई http://manisbadkase.blogspot.in/2010/03/blog-post.html
to happily deal with current inflationary inflammatory scenario
Man is bad case.... isn't it?
No comments:
Post a Comment
Please Feel Free To Comment....please do....